आचार्य चाणक्य की नीतियां और विचार भले ही आपको थोड़े कठोर लगे लेकिन ये कठोरता ही जीवन की सच्चाई है। हम लोग भागदौड़ भरी जिंदगी में इन विचारों को भले ही नजरअंदाज कर दें लेकिन ये वचन जीवन की हर कसौटी पर आपकी मदद करेंगे। आचार्य चाणक्य के इन्हीं विचारों में से आज हम एक और विचार का विश्लेषण करेंगे। आज का विचार समस्या का समाधान किस तरह से निकालना चाहिए इस पर आधारित है।
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'क्रोध के उन्माद में नहीं होता है समस्या का समाधान। किंतु शांत चित्त हर समस्या का हल ढूंढ सकता है।' आचार्य चाणक्य
आचार्य चाणक्य के इस कथन का अर्थ है कि मनुष्य किसी भी समस्या का समाधान निकाल सकता है। बस उसे अपने दिमाग को शांत करना होगा। अगर आप अपने दिमाग को शांत रखेंगे तो आप बड़ी से बड़ी समस्या का हल आसानी से ढूंढ लेंगे। वहीं अगर आप किसी समस्या का हल गुस्से में निकालने की कोशिश करेंगे तो आपके हाथ खाली ही रहेंगे।
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असल जिंदगी में मनुष्य के सामने कई तरह की समस्याएं आती हैं। कुछ समस्याएं ऐसी होती हैं जिनका सामना करते हुए ये लगता है कि इसका हल निकालना मुश्किल है। लेकिन अगर आप ठंडे दिमाग से उस समस्या का समाधान निकालने की कोशिश करेंगे तो भले ही आपको उसका हल तुरंत ना मिले। लेकिन बहुत सोच विचार के बाद उसका हल आसानी मिल जाएगा। समस्या का जब आप ठंडे दिमाग से हल सोचेंगे तो आपका दिमाग और तेजी से काम करेगा। वहीं अगर आप गुस्से में समाधान निकालने की कोशिश करेंगे तो आपको उसका हल मिलना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन लगेगा।
ऐसा इसलिए क्योंकि गुस्से में सबसे पहले इंसान का दिमाग काम करना बंद कर देता है। उसे सामने रखी हुई कई बार चीज भी नहीं दिखाई देती, तो फिर हल की बात ही नहीं की जा सकती है। इसी वजह से आचार्य चाणक्य ने कहा है कि क्रोध के उन्माद में नहीं होता है समस्या का समाधान। किंतु शांत चित्त हर समस्या का हल ढूंढ सकता है।