आचार्य चाणक्य की नीतियां और विचार भले ही आपको थोड़े कठोर लगे लेकिन ये कठोरता ही जीवन की सच्चाई है। हम लोग भागदौड़ भरी जिंदगी में इन विचारों को भरे ही नजरअंदाज कर दें लेकिन ये वचन जीवन की हर कसौटी पर आपकी मदद करेंगे। आचार्य चाणक्य के इन्हीं विचारों में से आज हम एक और विचार का विश्लेषण करेंगे। आज का ये विचार तमीज और परवरिश पर आधारित है।
'बड़ों से बात करने का ढंग आप की तमीज बताता है और छोटों से बात करने का ढंग आपकी परवरिश।' आचार्य चाणक्य
आचार्य चाणक्य के इस कथन का अर्थ है कि आपके सामने वाले में या आप में कितनी तमीज है ये दो चीजों पर निर्भर करता है। पहली चीज है बड़ों से आपका व्यवहार और दूसरा छोटों से बात करने का आपका तरीका। इन्हीं दो चीजों के आधार पर आप सामने वाले को जज कर सकते हैं।
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अक्सर जब आप अपने सामने किसी को बड़ों से बात करते हुए देखते हैं तो जाने अनजाने आपका पूरा ध्यान उसके बात करने के तरीके पर चला जाता है। आप बड़े ही गौर से इस चीज को नोटिस करते हैं कि सामने वाला अपनों से बड़ों और छोटों दोनों से किस तरह से बर्ताव कर रहा। कई बार लोग अपने बड़ों से तो तमीज से बात करते हैं लेकिन छोटे से वो उस तरह का व्यवहार नहीं करते। उनके मन में ये रहता है कि वो तो हमसे छोटा है तो किसी भी तरह से उससे बात कर लो। अगर आप भी कुछ ऐसा ही सोचते हैं तो ये सोच आपकी गलत है।
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सामने वाला आपसे उम्र में छोटा हो या फिर बड़ा दोनों को ही सम्मान देना चाहिए। जब तक आप दूसरों को सम्मान नहीं देंगे तब तक आप भी सम्मान के हकदार नहीं हो सकते। असल जिंदगी में कई बार ऐसा होता है मनुष्य अपनों से बड़ों से तो बड़े ही अच्छे तरीके से बात करता है लेकिन जहां बात अपने से उम्र में छोटों से बात करने की आती है तो उसका व्यवहार बदल जाता है। दरअसल, तमीज और परवरिश दोनों ही आपकी जिंदगी का अभिन्न हिस्सा है। इसी वजह से आचार्य चाणक्य ने कहा है कि जब आप अपने से बड़ों से बात करते हैं तो वो आपकी तमीज दिखाता है और जब छोटों से बात करते हैं तो वो आपकी परवरिश शो करता है। इसी वजह से आप किसी से भी बात करते वक्त अपने शब्दों और व्यवहार पर जरूर ध्यान दें।