आचार्य चाणक्य की नीतियां और विचार भले ही आपको थोड़े कठोर लगे लेकिन ये कठोरता ही जीवन की सच्चाई है। हम लोग भागदौड़ भरी जिंदगी में इन विचारों को भले ही नजरअंदाज कर दें लेकिन ये वचन जीवन की हर कसौटी पर आपकी मदद करेंगे। आचार्य चाणक्य के इन्हीं विचारों में से आज हम एक और विचार का विश्लेषण करेंगे। आज के विचार में आचार्य चाणक्य ने विनाश का जिक्र किया है।
Chanakya Niti: इस स्वभाव के व्यक्ति से हमेशा रहें दूर, आपके लिए हो सकता है खतरनाक
'जब परिवार के लोग अप्रिय लगने लगे और पराए लोग अपने लगने लगे तो समझ लें कि विनाश का समय शुरू हो चुका है।' आचार्य चाणक्य
आचार्य चाणक्य के इस कथन का अर्थ है कि मनुष्य जब अपने और परायों के बीच का फर्क भूल जाए तो वो उसके लिए हानिकारक साबित होता है। यहां तक कि ये उसके विनाश की शुरुआत होती है।
आचार्य चाणक्य के इस कथन का अर्थ है कि अपने अपने ही होते हैं। आप अपनों से ना केवल खून से जुड़े होते हैं बल्कि कहीं ना कहीं परायों की अपेक्षा ये ज्यादा आपके दिल के करीब होते हैं। अपनों से आपको अपने दिल का हाल बताने की जरूरत नहीं पड़ती है। ये बिना कहे ही सब कुछ समझ जाते हैं। ये बस आपके जीवन में खुशी और सुकून के पल चाहते हैं।
कई बार ऐसा होता है कि आपका अपने घरवालों से झगड़ा होता है। लेकिन जैसा कि आप जानते हैं कि चार बर्तन अगर एक साथ रखेंगे तो उनमें आवाज जरूर होगी। इसी तरह जब परिवार एक साथ एक छत के नीचे रहता है तो उनमें भी बहस हो सकती है। लेकिन आपको कभी भी उनके बारे में दिल में कुछ भी बुरा नहीं लाना चाहिए।
Chanakya Niti: अपने हाथ से ही सब कुछ बर्बाद कर देता है इस तरह के स्वभाव वाला व्यक्ति
कई बार जब अपनों से लोगों का झगड़ा होता है तो वो पराए लोगों पर ज्यादा विश्वास करने लगते हैं। उस वक्त उन्हें ऐसा लगता है कि घरवालों से ज्यादा बाहर वाले अच्छे हैं। लेकिन वो इस बात को भूल जाते हैं कि बहुत कम ही बाहर वाले ऐसे होते हैं जो आपका अच्छा सोचते हों। वो सबसे पहले अपना सोचेंगे और फिर आपका। वहीं आपके अपने हर बात में आपको सबसे ऊपर रखेंगे। लेकिन फिर भी कई लोग कई परिस्थितियों में घरवालों की बजाय पराए लोगों को अपनी जिंदगी में ज्यादा अहमियत देने लगते हैं। ऐसे लोग हर कदम पर धोखा ही खाते हैं। इसी वजह से आचार्य चाणक्य ने कहा है कि जब परिवार के लोग अप्रिय लगने लगे और पराए लोग अपने लगने लगे तो समझ लें कि विनाश का समय शुरू हो चुका है।