आचार्य चाणक्य की नीतियां और विचार भले ही आपको थोड़े कठोर लगे लेकिन ये कठोरता ही जीवन की सच्चाई है। हम लोग भागदौड़ भरी जिंदगी में इन विचारों को भले ही नजरअंदाज कर दें लेकिन ये वचन जीवन की हर कसौटी पर आपकी मदद करेंगे। आचार्य चाणक्य के इन्हीं विचारों में से आज हम एक और विचार का विश्लेषण करेंगे। आज का ये विचार भरोसे पर आधारित है।
'भरोसा उस पर करो जो तुम्हारी तीन बातें जान सके...हंसी के पीछे का दर्द, गुस्से के पीछे का प्यार और आपके चुप रहने की वजह।' आचार्य चाणक्य
आचार्य चाणक्य के इस कथन का अर्थ है कि मनुष्य को भरोसा करते वक्त तीनों चीजों का ध्यान रखना चाहिए। ये वो तीन चीजें हैं जो हर व्यक्ति के जीवन में अहम भूमिका निभाती हैं। ये तीन चीजें -हंसी के पीछे का दर्द, गुस्से के पीछे का प्यार और आपके चुप रहने की वजह है। आचार्य का कहना है कि अगर आप किसी पर भरोसा करते हैं तो उससे पहले इस बात की तसल्ली कर लें कि वो आपको इन तीन मानकों पर जानता है कि नहीं।
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किसी भी व्यक्ति पर भरोसा बनाने के लिए कई बार कई साल लग जाते हैं। जबकि इसी भरोसे को तोड़ने के लिए एक मिनट ही काफी होता है। मनुष्य को हमेशा उस व्यक्ति पर भरोसा करना चाहिए जो आपको अच्छी तरह से जानता हो। यहां पर अच्छी तरह से जानने का मतलब है कि वो आपके स्वभाव से भली भांति वाकिफ हो। उसे ये पता हो कि आप कब सबसे ज्यादा खुश होते हैं और खुश होने पर उस खुशी को किस तरह जाहिर करते हैं।
ठीक इसी तरह आप जिस पर भरोसा करते हो उसे ये भी पता होना चाहिए जब आप गुस्सा करते हैं तो उसके पीछे कहीं ना कहीं आपके लिए कंसर्न भी छिपा होता है। इन दोनों चीजों के अलावा आखिर चीज है आपके चुप रहने की वजह। उसे इस बात का पता होने चाहिए कि आपको कौन सी चीज उदास कर सकती है। जो व्यक्ति आपकी ये तीन बातें अच्छी तरह से जानता हो वही आपका सच्चा दोस्त है और उस पर आंख बंद करके भरोसा कर सकते हैं। इसी वजह से आचार्य चाणक्य ने कहा है कि भरोसा उस पर करो जो तुम्हारी तीन बाते जान सके...हंसी के पीछे का दर्द, गुस्से के पीछे का प्यार और आपके चुप रहने की वजह।