आचार्य चाणक्य की नीतियां और विचार भले ही आपको थोड़े कठोर लगे लेकिन ये कठोरता ही जीवन की सच्चाई है। हम लोग भागदौड़ भरी जिंदगी में इन विचारों को भले ही नजरअंदाज कर दें लेकिन ये वचन जीवन की हर कसौटी पर आपकी मदद करेंगे। आचार्य चाणक्य के इन्हीं विचारों में से आज हम एक और विचार का विश्लेषण करेंगे। आज के विचार में आचार्य चाणक्य ने सफलता के तीन नियम बताए हैं।
'सफल होने के तीन नियम- खुद से वादा, मेहनत ज्यादा और मजबूत इरादा।' आचार्य चाणक्य
आचार्य चाणक्य ने अपने इस कथन में सफलता के तीन नियम बताए हैं। आचार्य का कहना है कि वही व्यक्ति सफल हो सकता है जिसने ये तीनों नियम अपना लिए। ये नियम हैं-खुद से वादा, मेहनत ज्यादा और मजबूत इरादा। आज हम आपको आचार्य चाणक्य के इन तीन नियमों के बारे में डिटेल में बताएंगे।
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सबसे पहले बात करते हैं खुद से वादा। आचार्य चाणक्य का कहना है कि अगर किसी मनुष्य ने खुद से किसी तरह का वादा कर लिया तभी वो सफलता की ओर पहला कदम रख सकता है। उदाहरण के तौर पर- अगर कोई बच्चा अपने क्लास में पहले स्थान पर आना चाहता है तो उसे खुद से वादा करना होगा। ऐसा इसलिए क्योंकि जब तक आप किसी काम को करने के लिए अपने से वादा यानी कि उस काम के प्रति मजबूती नहीं दिखाएंगे तब तक आप उस पर नहीं चल पाएंगे। इसी वजह से खुद से वादा करना बहुत जरूरी है।
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दूसरा है मेहनत ज्यादा। अगर कोई बच्चा अपने क्लास में पहले स्थान पर आना चाहता है तो खुद से वादा करने के बाद उसे मेहनत भी बहुत करनी होगी। उसे हर विषय का ज्ञान होना बहुत जरूरी है। पढ़ते वक्त उसे फोकस करना होगा। दिमाग से किसी भी तरह की और बातों को हटाना होगा। इसके साथ ही उसे पढ़ाई मन लगाकर करनी होगी। इस तरह की कड़ी मेहनत करने वाला ही अपने लक्ष्य को पा सकता है।
तीसरा है मजबूत इरादा। कोई भी काम हो उसे करते वक्त मन में उसके प्रति मजबूत इरादे का होना बहुत जरूरी है। मजबूत इरादा अगर होगा तो आपको अपने लक्ष्य से कोई भी हटा नहीं सकता है। ना ही आपका मन बदल सकता है। इसी वजह से आचार्य चाणक्य ने कहा है कि सफल होने के लिए उपरोक्त तीन नियमों का पालन करना जरूरी है।