आचार्य चाणक्य की नीतियां और विचार भले ही आपको थोड़े कठोर लगे लेकिन ये कठोरता ही जीवन की सच्चाई है। हम लोग भागदौड़ भरी जिंदगी में इन विचारों को भले ही नजरअंदाज कर दें लेकिन ये वचन जीवन की हर कसौटी पर आपकी मदद करेंगे। आचार्य चाणक्य के इन्हीं विचारों में से आज हम एक और विचार का विश्लेषण करेंगे। आज के विचार में आचार्य चाणक्य ने तीन चीजों के बारे में बताया है।
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'भूखा पेट, खाली जेब और झूठा प्रेम..इंसान को जीवन में बहुत कुछ सिखा जाता है।' आचार्य चाणक्य
आचार्य चाणक्य के इस कथन का अर्थ है कि तीन चीजें मनुष्य को जीवन में बहुत कुछ सिखा जाती हैं। ये तीन चीजें हैं- भूखा पेट, खाली जेब और झूठा प्रेम। आज हम इन तीनों चीजों के बारे में डिटेल में चर्चा करेंगे।
पहला है भूखा पेट। अगर किसी को भूख लगी हो तो आप उसे अपनी बातों में उलझा नहीं सकते। ऐसा इसलिए क्योंकि भोजन एक ऐसी चीज है जिसके बिना इंसान का जीवित रहना मुश्किल है। अन्न ग्रहण करने से शरीर को ताकत और ऊर्जा मिलती है जिसके बाद वो कुछ सोचने और समझने की स्थिति में होता है। भूखे पेट ना तो किसी से आप कोई काम करा सकते हैं और ना ही उम्मीद कर सकते हैं कि वो किसी भी कार्य में पूर्ण ध्यान दें। जब किसी को भूख लगी होती है तो उसे सिर्फ और सिर्फ खाना ही चाहिए होता है।
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दूसरा है खाली जेब। अगर किसी व्यक्ति की जेब में पैसे नहीं है तो भी वो दूसरों के सहारे हो जाता है। फिर चाहे खाना हो या फिर जरूरत की कोई भी चीज। जरूरी नहीं कि सामने वाला आपकी मदद करें।
तीसरा है झूठा प्रेम। झूठा प्रेम भी लोगों को बहुत कुछ सिखा जाता है। आप झूठे प्रेम को लाख कोशिशों के बाद भी लोगों की नजरों से छिपा नहीं सकते। इस तरह का प्रेम दिल से नहीं आता। इसी वजह से लोग झूठे प्रेम को आसानी से समझ जाते हैं। लेकिन इतना जरूर है कि ये तीनों चीजों इंसान को असल जिंदगी के उस पहलू से अवगत कराती हैं जिसका सामना आपको बहुत कुछ सिखा के जाता है।