आचार्य चाणक्य की नीतियां और विचार भले ही आपको थोड़े कठोर लगे लेकिन ये कठोरता ही जीवन की सच्चाई है। हम लोग भागदौड़ भरी जिंदगी में इन विचारों को भले ही नजरअंदाज कर दें लेकिन ये वचन जीवन की हर कसौटी पर आपकी मदद करेंगे। आचार्य चाणक्य के इन्हीं विचारों में से आज हम एक और विचार का विश्लेषण करेंगे। आज के विचार में मनुष्य के बर्बाद होने के लक्षण बताए गए हैं।
मनुष्य की इन दो चीजों पर नहीं किया जा सकता भरोसा, चाहे कितनी भी कर लें कोशिश
'किसी व्यक्ति के बर्बाद होने के 5 लक्षण होते हैं- नींद, गुस्सा, भय, आलस्य और काम को टालने की आदत।' आचार्य चाणक्य
आचार्य चाणक्य के इस कथन का अर्थ है कि अगर किसी भी मनुष्य में ये पांच लक्षण हैं तो इसका मतलब है कि उसकी बर्बादी निश्चित है। ये पांच लक्षण हैं- नींद, गुस्सा, भय, आलस्य और काम को टालने की आदत। आज हम आपको इन लक्षणों के बारे में डिटेल में बताएंगे।
सबसे पहले बात करते हैं नींद की। नींद मनुष्य की सफलता के बीच में एक ऐसा पत्थर है जिसे पार कर पाने वाला मनुष्य ही जीवन में कुछ कर पाता है। नींद सबको अच्छी लगती है। खासतौर पर सुबह की नींद में उठना हर किसी के लिए मुश्किल होता है। लेकिन जिसने अपनी इस नींद के चक्कर में सब कुछ त्याग दिया तो उसे कभी भी सफलता नहीं मिल सकती।
दूसरा है गुस्सा। आचार्य चाणक्य का कहना है कि अगर किसी व्यक्ति को बहुत ज्यादा गुस्सा आता है तो वो इसे कंट्रोल करें। ऐसा ना करके हो सकता है कि वो अपने बने बनाए काम ही बिगाड़ दें। गुस्से में सबसे पहले इंसान का दिमाग काम करना बंद कर देता है। उसे ये समझ नहीं आता कि वो क्या कर रहा है और क्या कह रहा है। इसलिए अगर आप गुस्से को नियंत्रित नहीं करेंगे तो ये भी आगे चलकर आपकी बर्बादी का एक कारण बन सकता है।
तीसरा है भय। मनुष्य को भय का डटकर सामना करना चाहिए। फिर वो भय चाहे परीक्षा देने का हो या फिर इंटरव्यू देने का। अगर आपने अपने इस भय को काबू में नहीं किया और दोनों ही चीजों से मुंह फेर लिया तो आपका हारना तय है।
अगर किसी भी मनुष्य का हो गया इस एक चीज से सामना, खुशियों का खात्मा निश्चित
चौथा है आलस्य। हर किसी को कभी ना कभी आलस्य जरूर आता है। लेकिन इसका ये मतलब नहीं है कि आप आलस्य में सबकुछ भूल जाए। यहां तक कि महत्वपूर्ण कार्य को भी ना करें। अगर आपने अभी आलस्य का त्याग करके अपने करियर पर फोकस नहीं किया तो वक्त आपके हाथ से निकल जाएगा। आखिर में आपके हाथ कुछ भी नहीं लगेगा।
पांचवां है काम को टालने की आदत। कई लोगों की काम को टालने की आदत होती है। उनसे आप कोई भी काम कहें तो वो उसे कुछ देर में या फिर अगले दिन पर टालने की कोशिश करेंगे। वो इस बात से अंजान होते हैं कि कौन से काम की क्या प्राथमिकता है। इसी वजह से आचार्य चाणक्य ने कहा है कि अगर किसी व्यक्ति के अंदर ये 5 लक्षण दिखे तो इसका मतलब है कि उसकी बर्बादी निश्चित है।