आचार्य चाणक्य की नीतियां और विचार भले ही आपको थोड़े कठोर लगे लेकिन ये कठोरता ही जीवन की सच्चाई है। हम लोग भागदौड़ भरी जिंदगी में इन विचारों को भरे ही नजरअंदाज कर दें लेकिन ये वचन जीवन की हर कसौटी पर आपकी मदद करेंगे। आचार्य चाणक्य के इन्हीं विचारों में से आज हम एक और विचार का विश्लेषण करेंगे। आज का ये विचार जीभ पर आधारित है।
'किसी भी मनुष्य की उन्नति या विनाश का राज उसकी जीभ में छिपा होता है।' आचार्य चाणक्य
आचार्य चाणक्य का कहना है कि किसी भी मनुष्य की जीवन में सफलता या फिर असफलता का कारण उसकी जीभ में छिपा होता है। आचार्य के इस कथन का अर्थ वाणी से है। वाणी एक ऐसी चीज है जिसकी तुलना लोग अक्सर कैंची से करते हैं। कई बार आपने लोगों से ये कहते सुना होगा कि तुम्हारी जुबान कैंची की तरह चलती है। यानी कि जुबान में इतनी ताकत होती है कि वो किसी के भी दिल को चंद मिनट में छन्नी कर सकती है।
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ऐसा इसलिए क्योंकि जुबान से निकले शब्द इतने ताकतवर होते हैं कि किसी भी इंसान को सबसे पहले लगते हैं। इसी वजह से आपने कई लोगों से कुछ भी बोलने से पहले सौ बार सोचो। ऐसा इसलिए क्योंकि जिस तरह से धनुष से निकला बाण वापस नहीं आ सकता, ठीक उसी तरह जुबान से निकला शब्द वापस नहीं लिया जा सकता।
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मनुष्य को बोलने से पहले हमेशा सोचना चाहिए कि वो क्या बोल रहा है और किसके लिए और किस जगह बोल रहा है। अगर एक बार जुबान से कोई शब्द निकल गया तो उसे लाख कोशिश करने के बाद भी वापस नहीं लिया जा सकता। इसके साथ ही उसकी पीड़ा ऐसी होती है कि मनुष्य को मरते दम तक चुभती रहती है। इसी वजह से आचार्य चाणक्य ने कहा है कि किसी भी मनुष्य की उन्नति या विनाश का राज उसकी जीभ में छिपा होता है।