आचार्य चाणक्य की नीतियां और विचार भले ही आपको थोड़े कठोर लगे लेकिन ये कठोरता ही जीवन की सच्चाई है। हम लोग भागदौड़ भरी जिंदगी में इन विचारों को भले ही नजरअंदाज कर दें लेकिन ये वचन जीवन की हर कसौटी पर आपकी मदद करेंगे। आचार्य चाणक्य के इन्हीं विचारों में से आज हम एक और विचार का विश्लेषण करेंगे। आज का ये विचार लोगों के दिलों में कितना जहर भरा होता है इस पर आधारित है।
'जहर में भी इतना जहर नहीं होता जितना कुछ लोग दूसरों के लिए अपने दिल में रखते हैं।' आचार्य चाणक्य
आचार्य चाणक्य के इस कथन का अर्थ है कि सांप के जहर में भी इतना जहर नहीं होता जितना कि लोग अपन दिल में रखते हैं। इस कथन में आचार्य चाणक्य ने उन लोगों की बात की है जो सिर्फ दूसरों के कष्ट में ही अपनी खुशी ढूंढते हैं। आचार्य का कहना है कि बहुत से लोग ऐसे होते हैं जो दूसरों के सामने तो बहुत मीठा बनते हैं लेकिन उनके दिल में लोगों के लिए सिर्फ बुराई ही भरी होती है। ऐसे लोगों से हमेशा बचकर रहना चाहिए।
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जिंदगी में आपका कई बार ऐसे लोगों से आमना सामना होता है। ये लोग अपने दिल में दूसरे के प्रति इतनी कड़वाहट भरे होते हैं कि हर सोच इसी के इर्द गिर्द घूमती है। ऐसे लोग दिल के बिल्कुल भी साफ नहीं होते। ये लोग दूसरों का बुरा होने पर खुश होते हैं और उनका अच्छा होने पर शोक मनाते हैं। आचार्य चाणक्य ने ऐसे लोगों की तुलना सांप के जहर से की है।
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आचार्य का कहना है कि ऐसे लोग जहर से भी ज्यादा जहरीले होते हैं। अगर सांप ने किसी को एक बार डंस लिया तो उसका बचना मुश्किल है। लेकिन अगर जिंदगी में ऐसे लोग आ गए तो ये आपको तिल तिल करके मारेंगे। इसी वजह से दूसरों के प्रति अपने दिल में जहर रखने वाले लोग सांप के जहर से भी ज्यादा जहरीले होते हैं।