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मूर्ख से भी बद्दतर है ऐसा मनुष्य जो अपने कर्म को पहचान पाने में है असमर्थ

खुशहाल जिंदगी के लिए आचार्य चाणक्य ने कई नीतियां बताई हैं। अगर आप भी अपनी जिंदगी में सुख और शांति चाहते हैं तो चाणक्य के इन सुविचारों को अपने जीवन में जरूर उतारिए।

Written by: India TV Lifestyle Desk
Published : June 05, 2021 15:27 IST
Chanakya Niti-चाणक्य नीति
Image Source : INDIA TV Chanakya Niti-चाणक्य नीति

आचार्य चाणक्य की नीतियां और विचार भले ही आपको थोड़े कठोर लगे लेकिन ये कठोरता ही जीवन की सच्चाई है। हम लोग भागदौड़ भरी जिंदगी में इन विचारों को भले ही नजरअंदाज कर दें लेकिन ये वचन जीवन की हर कसौटी पर आपकी मदद करेंगे। आचार्य चाणक्य के इन्हीं विचारों में से आज हम एक और विचार का विश्लेषण करेंगे। आज का ये विचार कर्म पर आधारित है। 

Chanakya Niti: इस तरह के विचार वाले मनुष्य का जीवन में सौ फीसदी असफल होना है तय

'जो व्यक्ति अपने कर्म नहीं पहचानता है वो आंखें होते हुए भी अंधे मनुष्य के समान है।' आचार्य चाणक्य 

आचार्य चाणक्य का ये कथन कर्म पर आधारित है। इसमें आचार्य ने कहा है कि मनुष्य को अपने कर्मों का ज्ञान जरूर होना चाहिए। जब भी मनुष्य किसी काम को करता है तो उसे उस वक्त ये पता होता है कि उसने जो कर्म किया है वो सही है या फिर नहीं। इस बात की जानकारी हर किसी को होती है। कई बार ऐसा होता है कि मनुष्य कर्म तो कर जाता है लेकिन वो ये समझ नहीं पाता कि उसने जो कर्म किया है वो ठीक है या नहीं। इस तरह के मनुष्य का जीवन अंधकार के समान है। 

लक्ष्य को पाने के लिए मनुष्य को देना होगा ध्यान, वरना नहीं होगा सफल

जिस तरह अंधेरे में रखी चीज को ढूंढना मुश्किल होता है, उसी तरह से इस व्यक्ति के कर्म होते है। असल जिंदगी में मनुष्य का सामना कई तरह के लोगों से होता है। कुछ लोग अच्छे होते हैं तो कुछ लोगों के कर्म इतने खराब होते हैं कि वो क्या उनके बारे में दूसरे लोग भी अच्छे से जानते हैं। हालांकि कई बार जब आप उनसे इस बारे में पूछेंगे तो वो आपसे यही कहते दिखाई देंगे पता नहीं मैंने सही किया या फिर नहीं।

आचार्य का कहना है कि किसी भी कर्म को जब मनुष्य अंजाम तक पहुंचाता है तो उसके बारे में उसे पूरी जानकारी होती है। वो इस बात को अच्छे से जानता है कि किस कर्म का क्या दूरगामी नतीजा होगा। कई बार ये दूरगामी परिणाम दूसरों के लिए तो कई बार खुद के लिए भी घातक होते हैं। अगर आप ये कहते हैं कि आपको अपने कर्मों के बारे में जानकारी नहीं तो आप उस अंधे के समान है जिसकी आंखें तो हैं लेकिन सिर्फ नाम की। 

 

 

 

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