आचार्य चाणक्य की नीतियां और अनुमोल वचनों को जिसने जिंदगी में उतारा वो खुशहाल जीवन जी रहा है। अगर आप भी अपने जीवन में सुख चाहते हैं तो इन वचनों और नीतियों को जीवन में ऐसे उतारिए जैसे पानी के साथ चीनी घुल जाती है। चीनी जिस तरह पानी में घुलकर पानी को मीठा बना देती है उसी तरह से विचार आपके जीवन को आनंदित कर देंगे। आचार्य चाणक्य के इन अनुमोल विचारों में से आज हम एक विचार का विश्लेषण करेंगे। आज का ये विचार इस बात पर आधारित है जो लोग अन्यापूर्वक धन इकट्ठा करते हैं उनसे हमेशा दूर रहना चाहिए।
'जिसने अन्यायपूर्वक धन इकट्ठा किया है और अकड़ कर सदा सिर को उठाए रखा है। ऐसे लोगों से सदा दूर रहो। ऐसे लोग स्वयं पर भी बोझ होते हैं इन्हें शांति कहीं नहीं मिलती।' आचार्य चाणक्य
आचार्य चाणक्य के इस कथन का अर्थ है कि मनुष्य को हमेशा ऐसे लोगों से दूरी बनाकर रखना चाहिए जो गलत तरीके से पैसे कमाते हैं। ऐसे लोगों से आपका सामना जिंदगी में कई बार होता है। कई बार तो ऐसा होता है कि ये लोग आपने इतने करीबी होते हैं कि जिनके बारे में जानने के बाद भी उनसे दूरी बनाना मुनासिब नहीं होता। लेकिन फिर भी आपको ऐसे लोगों से दूर रहने का प्रयत्न करते रहना चाहिए।
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उदाहरण के तौर पर पैसा कमाने की चाहत में कई लोग गलत तरीके से धन को एकत्र करने की कोशिश करते हैं। उनके दिमाग में सही और गलत के बीच की लकीर पूरी तरह से मिट चुकी होती है। इन लोगों के दिमाग में हमेशा सिर्फ एक ही चीज चलती रहती है और वो है किसी तरह से उनके पैसे में और इजाफा हो। ऐसे में ये लोग किसी भी हद को पार कर सकते हैं। इन लोगों के लिए जीवन का सबसे बड़ा सुख परिवार या फिर अपनों का साथ नहीं बल्कि सिर्फ पैसे ही हैं। ऐसे प्रवृत्ति के लोगों को लगता है गलत तरह से ही क्यों ना पैसे कमाए लेकिन उनके पास सबसे ज्यादा इतना पैसा होना चाहिए कि कभी भी इसकी कमी ना हो।
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इन लोगों के लिए मन की शांति पैसों पर ही टिकी होती है। यहां तक कि इन लोगों के स्वभाव में अकड़ ऐसे घुल जाती है कि ये अपने से छोटे लोगों से बात करना भी पसंद नहीं करते। अगर आप भी किसी ऐसे व्यक्ति को जानते हैं तो उससे सौ कोस की दूरी बनाकर रखें। क्योंकि ऐसे व्यक्ति पैसे के घमंड में इस कदर डूबे हुए होते हैं कि सही और गलत से बहुत दूर जा चुके होते हैं। ऐसे व्यक्ति खुद पर ही बोझ होते हैं और इन्हें कभी भी दिमागी शांति नहीं मिलती।