आचार्य चाणक्य की नीतियां और विचार भले ही आपको थोड़े कठोर लगे लेकिन ये कठोरता ही जीवन की सच्चाई है। हम लोग भागदौड़ भरी जिंदगी में इन विचारों को भले ही नजरअंदाज कर दें लेकिन ये वचन जीवन की हर कसौटी पर आपकी मदद करेंगे। आचार्य चाणक्य के इन्हीं विचारों में से आज हम एक और विचार का विश्लेषण करेंगे। आज के विचार में धनहीन होने पर किन लोगों के साथ नहीं रहना चाहिए ये बताया गया है।
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'धनहीन होने की दशा में अपने संबंधियों के साथ कभी नहीं रहना चाहिए।' आचार्य चाणक्य
आचार्य चाणक्य के इस कथन का अर्थ है कि मनुष्य को जब इस बात का अंदाजा लग जाए कि उसके पास पैसे कम है तो उसे अपने रिश्तेदारों के पास बिल्कुल नहीं जाना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि रिश्तेदारों को इस बात का अगर पता चल जाए तो आपको हीन दृष्टि से देखेंगे। आपसे ठीक तरह से बात नहीं करेंगे। यहां तक कि आपको वो चुभती हुई ऐसी बातें भी बोल सकते हैं जिसे सुनकर आपको बुरा लगे।
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कई बार लोगों को ऐसा लगता है कि वो रिश्तेदार हैं तो जाने में दिक्कत ही क्या है। अगर आप भी ऐसा सोचते हैं तो इस बात को आपको समझना जरूरी होगा कि मुसीबत में सिर्फ आपका परिवार एक दूसरे का साथ दे सकता है। आप अपने परिवार पर भरोसा कर सकते हैं लेकिन रिश्तेदार सिर्फ सुख के समय में खुशियां बांटने आ जाते हैं। अगर उन्हें जरा भी इस बात का पता चल जाए कि आप धनहीन हैं तो बहुत ही कम रिश्तेदार आपके साथ खड़े होंगे। ज्यादातर लोग उस रास्ते से भी आना छोड़ देंगे जिस रोड पर आपका मकान हो। इसी वजह से आचार्य चाणक्य ने कहा है कि धनहीन होने की दशा में अपने संबंधियों के साथ कभी नहीं रहना चाहिए।