आचार्य चाणक्य की नीतियां और विचार भले ही आपको थोड़े कठोर लगे लेकिन ये कठोरता ही जीवन की सच्चाई है। हम लोग भागदौड़ भरी जिंदगी में इन विचारों को भरे ही नजरअंदाज कर दें लेकिन ये वचन जीवन की हर कसौटी पर आपकी मदद करेंगे। आचार्य चाणक्य के इन्हीं विचारों में से आज हम एक और विचार का विश्लेषण करेंगे। आज का ये विचार गलत के खिलाफ आवाज उठाना चाहिए इसक पर
'गलत का विरोध खुलकर कीजिए। चाहे राजनीति हो या समाज। इतिहास आवाज उठाने वालों पर लिखा जाता है तलवे चाटने वालों पर नहीं।' आचार्य चाणक्य
आचार्य चाणक्य के इस कथन का अर्थ है कि मनुष्य को हमेशा गलत चीजों के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए। ऐसा करने वाला मनुष्य ही दूसरों पर हो रहे अत्याचार को रोक सकता है, साथ ही समाज और राजनीति में बदलाव भी ला सकता है। हालांकि इस तरह के स्वभाव वाले व्यक्ति बहुत ही कम होते हैं।
इन तीन परिस्थितियों में मनुष्य भूल कर भी ना ले फैसला, हो सकता है जिंदगी भर का पछतावा
उदाहरण के तौर पर असल जिंदगी में आप कई लोगों से मिलते हैं। उनमें से कुछ लोग ऐसे होते हैं जो अपनी बात को सीधे और साफ लफ्जो में कहना ज्यादा पसंद करते हैं। यहां तक कि वो अपनी बात रखते हुए ये भी नहीं सोचते कि ऐसा करने से उन्हें नुकसान भी हो सकता है। ऐसे लोग सबसे ज्यादा गलत चीजों का विरोध करते हैं। उनके लिए ये मैटर नहीं करता कि सामने वालों को वो जानते हैं या फिर नहीं। उनके लिए सिर्फ ये मैटर करता है कि किसी के साथ गलत हो रहा है। ऐसे में वो बिना वक्त गवाए सामने वाले की मदद के लिए तुरंत आ जाते हैं।
खुशहाल जीवन के लिए मनुष्य की जिंदगी में ऐसे लोगों का होना है बहुत जरूरी, वरना जीवन हो जाएगा व्यर्थ
ऐसे स्वभाव वाले व्यक्ति भले ही कम हैं लेकिन ऐसा करके वो दूसरों की मदद करते हैं। साथ ही कहीं ना कहीं समाज में सुधार करने में योगदान देते हैं। इसके विपरीत कुछ लोग ऐसे होते हैं जो सिर्फ दूसरों की चाटुकारिता करना ही पसंद करते हैं। ऐसे लोग आपको हर जगह मिल जाएंगे। फिर चाहे वो राजनीति हो, ऑफिस हो या फिर किसी और जगह पर। ऐसे लोगों के लिए सिर्फ ये अहमियत रखता है कि वो अपनी जगह को सुरक्षित रखें। फिर उसके लिए वो अपने स्वाभिमान को भी दांव पर लगाने से पीछे नहीं हटते हैं। इसी वजह से आचार्य चाणक्य ने कहा कि है गलत का विरोध खुलकर कीजिए। चाहे राजनीति हो या समाज। इतिहास आवाज उठाने वालों पर लिखा जाता है तलवे चाटने वालों पर नहीं।