आचार्य चाणक्य की नीतियां और विचार भले ही आपको थोड़े कठोर लगे लेकिन ये कठोरता ही जीवन की सच्चाई है। हम लोग भागदौड़ भरी जिंदगी में इन विचारों को भरे ही नजरअंदाज कर दें लेकिन ये वचन जीवन की हर कसौटी पर आपकी मदद करेंगे। आचार्य चाणक्य के इन्हीं विचारों में से आज हम एक और विचार का विश्लेषण करेंगे। आज का ये विचार भय पर आधारित है।
'भय को नजदीक ना आने दो, अगर यह नजदीक आए तो इस पर हमला कर दो यानी भय से भागो मत इसका सामना करो।' आचार्य चाणक्य
आचार्य चाणक्य के कहने का अर्थ है कि मनुष्य को कभी भी डर से भागना नहीं चाहिए। किसी भी चीज से अगर आप डरते हैं तो जितना आप इससे भागोगे ये आपका उतना ही पीछा करेगी। इसी वजह से हमेशा आपको डर का सामना करना चाहिए। कई बार असल जिंदगी में होता है कि मनुष्य किसी व्यक्ति अथवा किसी चीज को देखकर डरता ज्यादा है। अगर उस वक्त आपने इस डर का डटकर सामना ना किया तो वो आप पर इतना हावी हो जाएगा जिसका सामना आप जिंदगी भर नहीं कर पाएंगे।
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असल जिंदगी में कई बार ऐसा होता है कि मनुष्य छोटी छोटी चीजों को करने से डरता है। ये छोटी छोटी चीजें आपके डेली के रुटीन में शामिल हैं। उदाहरण के तौर पर किसी से सही बात कहने पर झिझकना, कोई आपसे गलत तरह से बात कर रहा है आपका पलटवार ना करना, कोई आपकी बेइज्जती कर रहा है फिर भी आपका चुप रह जाना, घर में शांति बनी रही इस वजह से चुप रह जाना, अपने से बड़ों का अपमान होते देख चुप रहना। ये सभी चीजें ऐसी हैं जिनका सामना कोई ना कोई रोज करता है।
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अगर आप इन सब चीजों को झेल रहे हैं और चुप्पी साध रखी है तो ऐसा ना करें। क्योंकि आपका ऐसा करना इन चीजों को ना केवल बढ़ावा दे रहा है बल्कि आपने मन में डर और गहराता जा रहा है। इसी वजह से आचार्य चाणक्य का कहना है कि भय को नजदीक ना आने दो, अगर यह नजदीक आए तो इस पर हमला कर दो यानी भय से भागो मत इसका सामना करो।