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किसी भी मनुष्य से इन 4 चीज़ों को हासिल करना है नामुमकिन, कोशिश करने वाले की हमेशा होगी हार

आचार्य चाणक्य के इस कथन का अर्थ है कि मनुष्य को चार गुण जन्मजात मिलते हैं।

Written by: India TV Lifestyle Desk
Updated on: December 24, 2020 8:39 IST
chanakya niti quotes- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV चाणक्य नीति

आचार्य चाणक्य की नीतियां और विचार भले ही आपको थोड़े कठोर लगे लेकिन ये कठोरता ही जीवन की सच्चाई है। हम लोग भागदौड़ भरी जिंदगी में इन विचारों को भरे ही नजरअंदाज कर दें लेकिन ये वचन जीवन की हर कसौटी पर आपकी मदद करेंगे। आचार्य चाणक्य के इन्हीं विचारों में से आज हम एक और विचार का विश्लेषण करेंगे। आज का ये विचार उन गुणों पर आधारित है जो जन्मजात होते हैं। इसे कोई भी उन्हें सिखा नहीं सकता। 

'दान देने, धैर्य रखना, मीठा बोलना और निर्णल लेना। इंसान में ये चार गुण जन्मजात होते हैं। कभी भी ये गुण सिखाए नहीं जा सकते।'  

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आचार्य चाणक्य के इस कथन का अर्थ है कि मनुष्य को चार गुण जन्मजात मिलते हैं। ये चार गुण दान देना, धैर्य रखना, मीठा बोलना और निर्णय लेना हैं। इन गुणों को मनुष्य को कभी भी सिखाया नहीं जा सकता। ये खूबियां मनुष्य के अंदर जन्म से ही निहित होती हैं। साधारण तौर पर हमेशा आपने किसी के बच्चे के गुणों को देखकर ये जरूर कहा होगा कि ये बेटा या फिर बेटी बिल्कुल अपने माता-पिता पर गई हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि माता-पिता के गुण ही बच्चों के अंदर आते हैं। फिर चाहे वो अच्छी आदतें हों या फिर बुरी। 

लेकिन ये बात भी सही है कि जिस तरह से हाथ की पांचों उंगलियां एक समान नहीं होती, ठीक उसी तरह हर कोई एक समान नहीं होता। अगर किसी के दो बच्चे हैं तो वो आदतों में एक जैसे हों ये बिल्कुल संभव नहीं है। कई बच्चे बिल्कुल अपने पेरेंट्स की परछाई होते हैं। ना केवल चेहरे में बल्कि आदतों, व्यवहार और गुणों में भी। वहीं उसी माता-पिता के दूसरे बच्चा हो सकता है अपने माता-पिता से अलग हो। 

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ऐसे में कई बार पेरेंट्स बच्चों को उनकी अच्छी बातें सिखाने की कोशिश करते हैं। वो समझ भी जाते हैं क्योंकि कुछ बातें इंसान दूसरों के समझाने पर समझ जाता है। लेकिन कुछ चीजें ऐसी होती हैं जिन्हें लाख कोशिश करने के बाद भी इंसान अपने अंदर समा नहीं पाता। इन्हीं चार आदतों में 'दान देने, धैर्य रखना, मीठा बोलना और निर्णल लेना शामिल है।

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