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बच्चों का पालन-पोषण करते वक्त माता पिता इन 3 चीजों का रखें ध्यान, तभी होंगे सफल

खुशहाल जिंदगी के लिए आचार्य चाणक्य ने कई नीतियां बताई हैं। अगर आप भी अपनी जिंदगी में सुख और शांति चाहते हैं तो चाणक्य के इन सुविचारों को अपने जीवन में जरूर उतारिए।

Written by: India TV Lifestyle Desk
Published : February 13, 2021 6:08 IST
Chanakya Niti-चाणक्य नीति
Image Source : INDIA TV Chanakya Niti-चाणक्य नीति

आचार्य चाणक्य की नीतियां और विचार भले ही आपको थोड़े कठोर लगे लेकिन ये कठोरता ही जीवन की सच्चाई है। हम लोग भागदौड़ भरी जिंदगी में इन विचारों को भले ही नजरअंदाज कर दें लेकिन ये वचन जीवन की हर कसौटी पर आपकी मदद करेंगे। आचार्य चाणक्य के इन्हीं विचारों में से आज हम एक और विचार का विश्लेषण करेंगे। आज का ये विचार माता पिता को बच्चों का पालन पोषण करते वक्त किन चीजों का ध्यान रखना चाहिए इस पर आधारित है। 

'पांच साल तक पुत्र का लाड एवं प्यार से पालन करना चाहिए। अगले दस साल तक उसे छड़ी की मार से डराना चाहिए। लेकिन जब वो 16 साल का हो जाए तो उससे मित्र के समान व्यवहार करना चाहिए।' आचार्य चाणक्य

आचार्य चाणक्य ने अपने इस कथन में माता पिता को बच्चों का पालन पोषण करते वक्त किस बात का ध्यान रखना चाहिए इस बारे में बताया है। आचार्य का कहना है कि जब बच्चा नवजात हो तब से लेकर पांच साल तक उसका खूब लाड प्यार करना चाहिए। किसी भी बच्चे के जन्म से पहले ही उसका नाता अपनी मां से जुड़ जाता है। वहीं जन्म के बाद उसके पिता से। यानी कि दुनिया में माता पिता से अच्छा शिक्षक बच्चे का कोई नहीं होता। जन्म से लेकर पांच साल तक उसे इतना लाड प्यार दें कि वो आपकी नजरों से इस दुनिया को देखें। उसे इस बात का अहसास हो कि उसके माता पिता उससे कितना प्यार करते हैं। यही वो उम्र होती है जब बच्चे माता पिता की नजरों से इस दुनिया को देखते हैं। 

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जन्म के पांच साल बाद से अगले दस साल तक माता पिता को बच्चों को छड़ी की मार से डराना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि यही वो उम्र होती है जब बच्चे बहुत ज्यादा शैतानी करते हैं। बड़ों का मान सम्मान करना, लोगों से किस तरह से बात करनी है से लेकर व्यवहार का एक एक पाठ उन्हें पढ़ाया जाता है। इस उम्र में बच्चे स्कूल भी जाने लगते हैं तो उनकी दुनिया  बड़ी होने लगती है। ऐसे में बच्चों पर सबसे ज्यादा ध्यान देने की जरूरत होती है। इस वक्त माता पिता को बच्चों को उनकी किसी भी गलती पर उन्हें छड़ी की मार से डराना चाहिए। यानी कि उनके मन में ये बात होनी चाहिए कि गलती करने पर सजा मिलेगी। जब माता पिता की छड़ी की मार का डर उनके मन में रहेगा तो वो किसी भी गलती को करने से बचेंगे। 

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वहीं जब बच्चा 16 साल का हो जाए तो पेरेंट्स को बच्चों का दोस्त बन जाना चाहिए। ये ऐसी अवस्था होती है जब उन पर माता पिता जरूरत से ज्यादा लगाम कस कर नहीं रख सकते। ऐसा इसलिए क्योंकि वो युवास्था में होते हैं और कुछ साल बाद बालिग भी हो जाएंगे। ऐसे में माता पिता को चाहिए कि वो बच्चों का दोस्त बनकर रहें। एक ऐसा दोस्त जिससे वो अपने दिल की सारी बातें शेयर कर सकें। इसी वजह से आचार्य चाणक्य ने कहा है कि पांच साल तक पुत्र को लाड एवं प्यार से पालन करना चाहिए। अगले दस साल तक उसे छड़ी की मार से डराना चाहिए। लेकिन जब वो 16 साल का हो जाए तो उससे मित्र के समान व्यवहार करना चाहिए।

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