आचार्य चाणक्य की नीतियां और विचार भले ही आपको थोड़े कठोर लगे लेकिन ये कठोरता ही जीवन की सच्चाई है। हम लोग भागदौड़ भरी जिंदगी में इन विचारों को भले ही नजरअंदाज कर दें लेकिन ये वचन जीवन की हर कसौटी पर आपकी मदद करेंगे। आचार्य चाणक्य के इन्हीं विचारों में से आज हम एक और विचार का विश्लेषण करेंगे। आज के विचार में आचार्य चाणक्य ने बताया है कि सपने और लक्ष्य में क्या अंतर होता है।
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'सपने और लक्ष्य में एक ही अंतर है। सपने के लिए बिना मेहनत अच्छी नींद चाहिए और लक्ष्य के लिए बिना नींद मेहनत।' आचार्य चाणक्य
आचार्य चाणक्य के इस कथन का अर्थ है कि मनुष्य को इन दो चीजों में क्या अंतर है ये समझ में आना चाहिए। ये दो चीजें हैं- लक्ष्य और सपने। आचार्य चाणक्य का कहना है कि किसी को भी अच्छे सपने तभी आएंगे जब वो बिना मेहनत किए सोएगा। यानी कि उसका दिनभर ऐसा बीता हो जिसमें उसने किसी भी तरह का ऐसा काम ना किया हो जिसमें वो शारीरिक या फिर मानसिक रूप से थक गया हो। ऐसा इसलिए जब आप पूरी तरह से थक जाएंगे तो आपका मन भी अशांत होगा। अशांत मन में किसी भी तरह के सपने नहीं आते हैं। यानी कि आपको अच्छे सपने तभी आएंगे जब आपका मन शांत हो और आपने सुकून भरी नींद ली हो।
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दूसरी तरफ बात करते हैं लक्ष्य की। अगर किसी भी व्यक्ति को अपने लक्ष्य को पूरा करना है तो उसे नींद का त्याग करना होगा। जो व्यक्ति सुकून भरी नींद सोएगा उसका लक्ष्य को प्राप्त करना मुश्किल हो सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि अगर आप कुछ भी हासिल करना चाहते हैं तो उसके लिए आपको कड़ी मेहनत करने की जरूरत है। जब आप कड़ी मेहनत करेंगे तभी आप अपने लक्ष्य को हासिल कर पाएंगे। इसी वजह से आचार्य चाणक्य ने कहा है कि सपने और लक्ष्य में एक ही अंतर है। सपने के लिए बिना मेहनत अच्छी नींद चाहिए और लक्ष्य के लिए बिना नींद मेहनत।