आचार्य चाणक्य की नीतियां और विचार भले ही आपको थोड़े कठोर लगे लेकिन ये कठोरता ही जीवन की सच्चाई है। हम लोग भागदौड़ भरी जिंदगी में इन विचारों को भले ही नजरअंदाज कर दें लेकिन ये वचन जीवन की हर कसौटी पर आपकी मदद करेंगे। आचार्य चाणक्य के इन्हीं विचारों में से आज हम एक और विचार का विश्लेषण करेंगे। आज का ये विचार एक दोष कैसे सभी गुणों को नष्ट कर देता है इस पर आधारित है।
'बहुत से गुणों के होने के बाद भी सिर्फ एक दोष सब कुछ नष्ट कर देता है।' आचार्य चाणक्य
आचार्य चाणक्य के इस कथन का अर्थ है कि मनुष्य में अगर एक भी दोष ऐसा हो कि वो दूसरों पर भारी पड़ जाए तो वो उसके बाकी गुणों पर भारी पड़ जाता है।
उदाहरण के तौर पर अगर आप किसी व्यक्ति को जानते हो और उसके अंदर आपको कोई भी बुराई नहीं दिखती हो तो आप उसकी कंपनी खूब एन्जॉय करते हो। यहां तक कि उस शख्स के साथ आपको उठना बैठना और बात करना भी बहुत पसंद होता है। अगर एक बार दिमाग में उसका नाम आ जाए तो चेहरे पर अपने आप ही मुस्कान आ जाती है। इसके उलट अगर आपको उसके बारे में कोई ऐसी बात पता चल गई जिसकी आपने कल्पना भी ना की हो तो आपका स्वभाव एक दम से बदल जाएगा।
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उसका नाम सुनते ही चेहरे पर से मुस्कान गायब हो जाएगी। कई बार तो आप उस व्यक्ति से इतने खफा हो जाते हैं कि उसका नाम सुनते ही चिड़चिड़ाहट होने लगती है। इसका यही अर्थ है कि सामने वाले इंसान के अंदर आपको ऐसी एक कमी दिख गई कि उस व्यक्ति के अंदर मौजूद अनगिनत गुण भी आप नजर अंदाज कर रहे हैं। इसी वजह से आचार्य चाणक्य ने कहा है कि बहुत से गुणों के होने के बाद भी सिर्फ एक दोष सब कुछ नष्ट कर देता है।