आचार्य चाणक्य की नीतियां और विचार भले ही आपको थोड़े कठोर लगे लेकिन ये कठोरता ही जीवन की सच्चाई है। हम लोग भागदौड़ भरी जिंदगी में इन विचारों को भरे ही नजरअंदाज कर दें लेकिन ये वचन जीवन की हर कसौटी पर आपकी मदद करेंगे। आचार्य चाणक्य के इन्हीं विचारों में से आज हम एक और विचार का विश्लेषण करेंगे। आज का ये विचार जुबान पर आधारित है।
'अपनी जुबान की ताकत कभी भी अपने माता पिता पर मत आजमाओ, जिन्होंने तुम्हें बोलना सिखाया है।' आचार्य चाणक्य
आचार्य चाणक्य के इस कथन का मतलब है कि हमेशा बोलते वक्त इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि आप किसके सामने और क्या बोल रहे हैं। जुबान की ताकत बहुत तेज और ताकतवर होती है। कई बार आप जो शब्द इस्तेमाल करते हैं वो भले ही आपको इतने ज्यादा प्रभावशाली ना लगे लेकिन बहुत ज्यादा असर करते हैं। हो सकता है कि इन शब्दों का इस्तेमाल करने के बाद आपको पछतावा भी हो। लेकिन जिस तरह से धनुष से निकला बाण वापस नहीं लिया जा सकता ठीक उसी तरह जुबान से निकले शब्द वापस नहीं लिए जा सकते हैं। इसी वजह से जब भी आप बोले तो सोच समझकर ही बोलें।
कोई भी मनुष्य किसी चुनौती से नहीं बल्कि अपनी कमजोरी से हारता है
असल जिंदगी में देखा गया है कि लोग जब बोलने पर आते हैं तो वो ये नहीं देखते कि उनके सामने कौन खड़ा है। यहां तक कि वो अपने माता-पिता को भी बिना सोचे समझे कुछ भी कह देते हैं। इससे जाहिर सी बात है कि आपके पेरेंट्स को तकलीफ होगी। उस वक्त अगर आपने अपने शब्दों पर कंट्रोल नहीं किया तो ये तकलीफ आपको भी जिंदगी भर होगी। माता-पिता बच्चों के नाम अपनी पूरी जिंदगी कर देते हैं। वो उनका हमेशा भला ही चाहते हैं। ऐसे में अगर आपको उनकी कोई बात बुरी लगी है तो आप उन्हें प्यार से अपनी बात कह सकते हैं। लेकिन शब्दों का गलत इस्तेमाल करने का मतलब है कि आप अपनी मर्यादा पार कर चुके हैं।
मनुष्य कभी भी सही होने पर ना करें कुछ साबित, समय खुद देगा गवाही
इसी कारण मनुष्य को अपनी जुबान की ताकत माता पिता पर भूल कर भी आजमानी नहीं चाहिए। कई लोग गुस्से में ना जाने क्या क्या कह देते हैं। लेकिन जब उनका गुस्सा ठंडा होता है और गलती का अहसास होता है तो शब्दों को वापस लेना मुश्किल ही नहीं बल्कि नामुमकिन है। ऐसा करने वाला मनुष्य पाप का भोगी होता है, क्योंकि जिन माता पिता ने आपको जुबान से बोलना सिखाया उन पर अपनी वाणी का इस्तेमाल बिल्कुल नहीं करना चाहिए। इसी वजह से आचार्य चाणक्य ने कहा है कि अपनी जुबान की ताकत कभी भी अपने माता पिता पर मत आजमाओ, जिन्होंने तुम्हें बोलना सिखाया है।