आचार्य चाणक्य की नीतियां और विचार भले ही आपको थोड़े कठोर लगे लेकिन ये कठोरता ही जीवन की सच्चाई है। हम लोग भागदौड़ भरी जिंदगी में इन विचारों को भले ही नजरअंदाज कर दें लेकिन ये वचन जीवन की हर कसौटी पर आपकी मदद करेंगे। आचार्य चाणक्य के इन्हीं विचारों में से आज हम एक और विचार का विश्लेषण करेंगे। आज के विचार में आचार्य चाणक्य ने आलसी व्यक्ति के बारे में बताया है।
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'आलसी का वर्तमान और भविष्य नहीं होता।' आचार्य चाणक्य
आचार्य चाणक्य के इस कथन का अर्थ है कि आलसी व्यक्ति का ना तो वर्तमान होता है और ना ही भविष्य होता है। ऐसा इसलिए क्योंकि आलसी व्यक्ति हमेशा आलस में चूर होता है। उसे इस बात से मतलब नहीं होता है कि अगर वो आलस का त्याग नहीं करेगा तो उसका क्या होगा।
असल जिंदगी में आपका आमना सामना ऐसे लोगों से हो सकता है। आलसी व्यक्ति हमेशा आज का काम कल पर और कल आने पर फिर से उस काम को आगे के लिए टाल देता है। इन्हें ना तो समय की चिंता होती है और ना ही वर्तमान की। इन्हें बस आराम करने से मतलब होता है। इन्हें ऐसा लगता है कि दिनभर आलस में चूर होकर वो कोई बहुत बड़ा काम कर रहे हैं। लेकिन वो इस बात से बेखबर होते हैं कि जो वक्त बीत जाता है वो कभी भी वापस नहीं आता।
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ऐसे में वो ना केवल अपना आज वर्तमान बर्बाद कर देते हैं बल्कि भविष्य को भी दांव पर लगा लेते हैं। अगर आप भी किसी आलसी व्यक्ति को जानते हैं तो उसे समझाइए। हो सकता है कि वो आपकी बात मानकर अपने आज और आने वाले भविष्य को संवार सके। इसी वजह से आचार्य चाणक्य ने कहा है कि आलसी का वर्तमान और भविष्य नहीं होता।