आचार्य चाणक्य की नीतियां और विचार आज के समय में भी प्रासांगिक हैं। अगर कोई व्यक्ति अपने जीवन में सफलता चाहता है तो उसे इन विचारों को जीवन में उतारना होगा। आचार्य चाणक्य के इन्हीं विचारों में से आज हम एक विचार का विश्लेषण करेंगे। आज का ये विचार साहस पर आधारित है।
अगर सामने वाला आपके रिश्तों की नहीं करता परवाह तो अकेले खड़े रहना कहीं बेहतर है
'जब तक तुम दौड़ने का साहस नहीं जुटापाओगे, तुम्हारे लिए प्रतिस्पर्धा में जीतना हमेशा असंभव बना रहेगा।' आचार्य चाणक्य
आचार्य चाणक्य का कहना है कि मनुष्य को हमेशा साहसी होना चाहिए। ये एक ऐसी चीज है जिससे कोई भी मनुष्य किसी भी परिस्थिति का डटकर सामना कर सकता है। अगर आपके सामने कोई भी मुसीबत आ जाए तो उसका सामना आप साहस के साथ करेंगे तो हर मुश्किल का हल निकालना आसान है। लेकिन कुछ लोग ऐसे होते हैं कि जो मुसीबत को देखकर सबसे पहले साहस का साथ छोड़ देते हैं। अगर आप भी ऐसा ही करते हैं तो ऐसा करना छोड़ दें। साहस का साथ कभी भी छोड़ना नहीं चाहिए। ऐसा करने आप मुसीबत के सामने घुटने टेक देने जैसा है।
3 चीजें किसी भी मनुष्य के अंदर की काबीलियत का खात्मा कर देती हैं
हर मनुष्य की जीवन असल जिंदगी में उतार चढ़ाव से भरी होता है। अगर आप साहस को अपना दोस्त नहीं बनाएंगे तो जीवन जीना मुश्किल हो जाएगा। ऐसा इसलिए क्योंकि जीवन में कई सारे ऐसे मौके आते हैं जब आपका साहस ही आपको आगे की ओर बढ़ने के लिए प्रेरित करता है।
अगर आज के युग में आप साहस का दामन थामकर आगे नहीं बढ़े तो बहुत पीछे रह जाएंगे। इसलिए हमेशा इस बात को ध्यान में रखें कि साहस मनुष्य की सबसे बड़ी ताकत होती है। इसके सहारे आप किसी भी मुसीबत का सामना बड़ी ही आसानी से कर सकते हैं। इसी वजह से आचार्य चाणक्य का कहना है कि जब तक तुम दौड़ने का साहस नहीं जुटापाओगे, तुम्हारे लिए प्रतिस्पर्धा में जीतना हमेशा असंभव बना रहेगा।