आचार्य चाणक्य की नीतियां और विचार भले ही आपको थोड़े कठोर लगे लेकिन ये कठोरता ही जीवन की सच्चाई है। हम लोग भागदौड़ भरी जिंदगी में इन विचारों को भरे ही नजरअंदाज कर दें लेकिन ये वचन जीवन की हर कसौटी पर आपकी मदद करेंगे। आचार्य चाणक्य के इन्हीं विचारों में से आज हम एक और विचार का विश्लेषण करेंगे। आज का ये विचार दोस्ती पर आधारित है।
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'साथ रहकर जो छल करे उससे बड़ा कोई शत्रु नहीं हो सकता और जो हमारे मुंह पर हमारी बुराइयां बता दे उससे बड़ा कोई मित्र नहीं हो सकता।' आचार्य चाणक्य
आचार्य चाणक्य ने अपने इस कथन में सच्चा दोस्त कौन होता है इसके बारे में बताया है। आचार्य का कहना है कि जो दोस्त आपके साथ है लेकिन आपके पीठ पीछे ही आपकी बुराई करता है उससे कोसों दूर रहने में ही भलाई है। इस तरह के स्वभाव वाले दोस्त बहुत खतरनाक होते हैं। इन लोगों से अच्छे वो लोग होते हैं जो आपके मुंह पर आपकी बुराई करते हैं। ऐसे लोगों से कुछ लोगों को डर जरूर लग सकता है लेकिन ये मुंह पर कुछ और बोलने वाले दोस्त कहने वाले लोगों से लाख गुना बेहतर होते हैं।
असल जिंदगी में आपका इस तरह के लोगों से आमना सामना जरूर होगा। कुछ दोस्त ऐसे होते हैं जिनसे आप अपनी सारी बातें शेयर करते हैं जो आपने किसी और से नहीं कही होती। आप इन्हें अपना करीबी समझकर वो सब बातें कह देते हैं जो आप दूसरों के सामने कहने से डरते हैं। कई बार ऐसा होता है कि उस वक्त भावनाओं में बहकर इस दोस्त से अपने वो सीक्रेट भी शेयर कर दें जो आपके दिल के किसी कोने में कैद हों। लेकिन यही दोस्त आपके सभी सीक्रेट मौका पड़ने पर दूसरों के सामने खोलकर रख देते हैं। खास बात है कि इन्हें ऐसा करते वक्त बिल्कुल भी बुरा नहीं लगता और ना ही ये आपके विश्वास टूटने के बारे में एक परसेंट सोचते हैं।
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इस तरह के दोस्तों से अच्छे आपके दुश्मन हैं। या फिर ऐसे लोग हैं जो आपको बिल्कुल भी पसंद नहीं करते। क्योंकि ऐसे लोगों के मन में जो होता है वही वो सामने बोल देते हैं। इसी वजह से आचार्य चाणक्य ने कहा है कि साथ रहकर जो छल करे उससे बड़ा कोई शत्रु नहीं हो सकता और जो हमारे मुंह पर हमारी बुराइयां बता दे उससे बड़ा कोई मित्र नहीं हो सकता।