आचार्य चाणक्य के बारें में कौन नहीं जानता है। एक ऐसे विद्वान जो अपनी बुद्धिमत्ता, क्षमता के बल पर भारतीय इतिहार की धारा ही बदल कर रख दी। आचार्य चाणक्य मौर्य साम्राज्य के संस्थापक के साथ-साथ चतुर कूटनीतिज्ञ, प्रकांड अर्थशास्त्री के रूप में भी जानें जाते है। आचार्य चाणक्य ने हमारे जीवन संबंधी कई नीतियां बताई है। उन्होंने यह गहर चिंतन, जीवन का अनुभव, गहन अध्ययन से जो ज्ञान अर्जित किया। उसे अपनी नीतियों के तौर पर उतार दिया।
आचार्य चाणक्य के अनुसार शक्तिशाली शत्रु हमेशा किसी ना किसी तरीके से आप पर वार जरूर करेगा। जिससे जान-माल को भारी नुकसान हो सकता है। अगर कोई शत्रु आपसे ज्यादा बलवान है तो कभी भी सामने नहीं आना चाहिए। आपके छिप जाने पर ही समझदारी है।
चाणक्य नीति: इस तरह से कमाए गए धन को हमेशा त्याग देना चाहिए, नहीं तो होगा पछतावा
शक्तिशाली शत्रु को पराजित करने के द्वेष, क्रोध आदि को किनारे करके समझदारी से ऱणनीति बनानी चाहिए। सबसे पहले खुद को और अपने परिवार, मित्रजनों को सुरक्षित करने के बाद ही यह जानना चाहिए कि आखिर शत्रु को कैसे हराया जाए। शत्रु की कमजोरी क्या है? उसे किस तरह से हराया जा सकता है। जब तक आप इस बारे में ना जान लें। तब तक घरों पर ही सुरक्षित रहे।
अगर आपका कोई शत्रु है तो आपसे बदला लेने के लिए साम, दंड और भेद तीनों नीतियों को अपना सकता है। ऐसे में आप हमेशा डर के साए में रहेंगे। हो सकता है कि शत्रु की वजह से आपका सबकुछ दांव पर भी लग जाए। इसी तरह रोग भी है। अगर शरीर स्वस्थ है तो सब कुछ अच्छा है। अगर शरीर किसी रोग की चपेट में आ गया तो आपके शरीर को दीपक की तरह अंदर से खोखला कर देगा। इसलिए जरूरी है कि सय रहते उस रोग का इलाज कराया जाए। जब आप अपने स्वास्थ्य पर ध्यान देंगे। तभी आप दूसरी चीजों में अपना सहयोग दे सकते हैं।
लाख कोशिश करने के बाद भी सिर्फ इस चीज के भरोसे मनुष्य किसी काम को नहीं कर सकता पूरा