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जिंदगी में कुछ भी हासिल करने के लिए मनुष्य को अपने स्वभाव में जरूर शामिल करनी चाहिए ये एक चीज

खुशहाल जिंदगी के लिए आचार्य चाणक्य ने कई नीतियां बताई हैं। अगर आप भी अपनी जिंदगी में सुख और शांति चाहते हैं तो चाणक्य के इन सुविचारों को अपने जीवन में जरूर उतारिए।

Written by: India TV Lifestyle Desk
Published on: December 13, 2020 7:37 IST
Chanakya Niti-चाणक्य नीति- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV Chanakya Niti-चाणक्य नीति

आचार्य चाणक्य की नीतियां और अनुमोल वचनों को जिसने जिंदगी में उतारा वो खुशहाल जीवन जी रहा है। अगर आप भी अपने जीवन में सुख चाहते हैं तो इन वचनों और नीतियों को जीवन में ऐसे उतारिए जैसे पानी के साथ चीनी घुल जाती है। चीनी जिस तरह पानी में घुलकर पानी को मीठा बना देती है उसी तरह से विचार आपके जीवन को आनंदित कर देंगे। आचार्य चाणक्य के इन अनुमोल विचारों में से आज हम एक विचार का विश्लेषण करेंगे। आज का ये विचार इस बात पर आधारित है जो झुकता है वो बहुत कुछ प्राप्त करता है। 

'कुएं में उतरने वाली बाल्टी यदि झुकती है तो भरकर बाहर आती है। जीवन का भी यही गणित है जो झुकता है वो वह प्राप्त करता है।' आचार्य चाणक्य

आचार्य चाणक्य का कहना है कि मनुष्य को हमेशा अपने बर्ताव में नरमी रखनी चाहिए। जो मनुष्य जीवन में झुकता है वो बहुत कुछ प्राप्त करता है। उदाहरण के तौर पर जिस तरह से कुएं से अगर किसी को पानी निकालना हो तो उसे उसके अंदर बाल्टी डालकर ही पानी निकालना होगा। यानी कि अगर बाल्टी को पानी से आपको भरना है और आपके सामने कुआं है तो बाल्टी को झुकना ही होगा। तभी बाल्टी पानी से भर पाएगी। 

ठीक इसी तरह जब आपको कुछ सीखना हो या फिर किसी से कोई ज्ञान प्राप्त करना तो है सबसे पहले आपको ही पहल करनी होगी। ऐसा करके आप किसी के सामने छोटे नहीं हो जाएंगे। कई लोग ऐसा सोचते हैं कि दूसरों की अच्छी बातों को या फिर दूसरों के अच्छे चीजों को सीखने के लिए उनसे बात नहीं करते हैं। उन्हें ऐसा लगता है कि ऐसा करने से उनके अहंकार को चोट पहुंचेगी। अगर आपको भी ऐसा लगता है तो ये सही नहीं है। यानी कि जब किसी को प्यास लगती है तो प्यासा कुएं के पास आता है ना कि कुआं प्यासे के पास जाता है। 

इसी तरह से इंसान तो जब कोई नहीं चीज सीखनी हो तो उसे ये बिल्कुल नहीं सोचना चाहिए कि वो अपने से उम्र से छोटे बच्चे या फिर दुश्मन से क्यों सीखें। ये विचार मन में आना गलत है। आचार्य चाणक्य का कहना है कि मनुष्य को ज्ञान कहीं से भी मिले उसे अपने अंदर समाहित कर ले चाहिए। 

 

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