आचार्य चाणक्य की नीतियां और विचार भले ही आपको थोड़े कठोर लगे लेकिन ये कठोरता ही जीवन की सच्चाई है। हम लोग भागदौड़ भरी जिंदगी में इन विचारों को भरे ही नजरअंदाज कर दें लेकिन ये वचन जीवन की हर कसौटी पर आपकी मदद करेंगे। आचार्य चाणक्य के इन्हीं विचारों में से आज हम एक और विचार का विश्लेषण करेंगे। आज का ये विचार गुणी व्यक्ति पर आधारित है।
'दूध में मिला जल भी दूध बन जाता है। गुणी व्यक्ति का आश्रय पाकर गुणहीन भी गुणी हो जाता है।' आचार्य चाणक्य
आचार्य चाणक्य का कहना है कि दूध में जिस तरह पानी मिलकर दूध और पानी में भेद करना मुश्किल है। ठीक उसी तरह जब गुणहीन व्यक्ति गुणी व्यक्ति के साथ रहता है तो वो भी गुणी हो जाता है। उदाहरण के तौर पर जब भी आप घर पर चाय बनाते हैं तो उसमें पैन में पहले पानी डालते हैं और फिर अदरक डालने के बाद खौल आते ही उसमें दूध दाल देते हैं। इसके बाद उसमें चीनी और चाय पत्ती डालकर अच्छे से खौलाकर चाय को पका लेते हैं। जिस तरह पानी में दूध डालने पर आप पानी और दूध को अलग अलग नहीं कर सकते, ठीक उसी तरह जब आप दूध में पानी को डालेंगे तो उसे भी अलग करना मुश्किल है।
चाहे दूध में पानी डालें या फिर पानी में दूध, दोनों ही चीजें जब एक साथ मिल जाती है किसी को भी अलग करना मुश्किल है। आचार्य चाणक्य का कहना है कि इसी तरह गुणहीन व्यक्ति जब गुणी व्यक्ति के संपर्क में आता है या उसके साथ कुछ वक्त बिताता है तो वो भी गुणी हो जाता है। ये एक ऐसी चीज है जिसका अनुभव आप लोगों ने असल जिंदगी में एक बार जरूर किया होगा। कई बार आपका आमना सामना ऐसे व्यक्ति से हो जाता है जिसे बात करने के बाद आपको लगता है कि ये व्यक्ति बिल्कुल गुणहीन है। इस बात का पता आपको उसके चाल ढाल या फिर बात करने के तरीके से लगता है।
कई बार तो लोग ये भी कह देते हैं कि ये व्यक्ति बात करने के भी लायक नहीं हैं। ऐसा व्यक्ति की संगत की वजह से भी हो सकता है। वहीं अगर ये व्यक्ति किसी गुणवान व्यक्ति के संपर्क में आ जाए तो उसमें थोड़ा बहुत बदलाव आना तय है। कई बार तो ऐसे गुणहीन व्यक्ति से मिलने के बाद आपको ये भी लगने लगता है कि ये व्यक्ति गुणी व्यक्ति की संगत में कितना बदल गया। इसी वजह से आचार्य चाणक्य ने कहा है कि दूध में मिला जल भी दूध बन जाता है। गुणी व्यक्ति का आश्रय पाकर गुणहीन भी गुणी हो जाता है।