आचार्य चाणक्य की नीतियां और विचार भले ही आपको थोड़े कठोर लगे लेकिन ये कठोरता ही जीवन की सच्चाई है। हम लोग भागदौड़ भरी जिंदगी में इन विचारों को भले ही नजरअंदाज कर दें लेकिन ये वचन जीवन की हर कसौटी पर आपकी मदद करेंगे। आचार्य चाणक्य के इन्हीं विचारों में से आज हम एक और विचार का विश्लेषण करेंगे। आज का विचार अपमान पर आधारित है।
मनुष्य को हमेशा इस बात का रखना चाहिए ध्यान, वरना सब कुछ खोना तय
'अपमानित होकर जीने से अच्छा मरना है। मृत्यु तो बस एक क्षण का दुख होता है लेकिन अपमान हर दिन जीवन में दुख लाता है।' आचार्य चाणक्य
आचार्य चाणक्य के इस कथन का अर्थ है कि मनुष्य के जीवन में अपमान मौत से कम नहीं है। अगर आपकी किसी ने सरे आम बेइज्जती कर दी तो जीवन में उससे बड़ा कोई दुख नहीं है। ऐसा इसलिए क्योंकि आमतौर पर मनुष्य जिस चीज के लिए सबसे ज्यादा घबराता है कि कही उसकी बेइज्जती ना हो जाए। हालांकि कई लोग ऐसे होते हैं जो अपमानित होने पर उसका मुंह तोड़ जवाब नहीं देते। ऐसा करने वाले इंसान को जिंदगी में कदम कदम पर अपमान का घूंट पीना होगा।
किसी व्यक्ति में अचानक आ जाए इस तरह का बदलाव, हो जाएं सावधान...आप पर पड़ सकता है भारी
अगर आपका कोई अपमान कर रहा है तो उसे वहीं रोकिए। जिस तरह से बीता हुआ वक्त वापस नहीं आता है, ठीक उसी तरह से अगर किसी ने आपका अपमान सबके सामने कर दिया है तो आपको लोगों की नजरों में वो जगह नहीं मिलेगी जो पहले हुआ करती थी। अपमान का घूंट जहर से भी ज्यादा कड़वा होता है। इसी वजह से इंसान का जीना मुश्किल हो जाता है।
असल जिंदगी में आप भले ही एक बार कोशिश करें कि आप अपने उस अपमान को भूल जाएं। लेकिन आपके आसपास के लोग ऐसा नहीं होने देंगे। जब भी उनको मौका मिलेगा तो वो आपके उन जख्मों को फिर से कुरेदने की कोशिश करेंगे जिन्होंने अभी भरना ही शुरू किया था।