आचार्य चाणक्य की नीतियां और विचार भले ही आपको थोड़े कठोर लगे लेकिन ये कठोरता ही जीवन की सच्चाई है। हम लोग भागदौड़ भरी जिंदगी में इन विचारों को भरे ही नजरअंदाज कर दें लेकिन ये वचन जीवन की हर कसौटी पर आपकी मदद करेंगे। आचार्य चाणक्य के इन्हीं विचारों में से आज हम एक और विचार का विश्लेषण करेंगे। आज का ये विचार किन लोगों की दोस्ती नहीं हो सकती इस पर आधारित है।
'सांप नेवले की और बकरी-बाघ की कभी दोस्ती नहीं हो सकती।' आचार्य चाणक्य
आचार्य चाणक्य का कहना है कि दो तरह के लोगों की कभी दोस्ती आगे तक नहीं चल सकती। उदाहरण के तौर पर सांप-नेवला और बकरी-बाघ की। सबसे पहले सांप और नेवले की बात करते हैं। सांप और नेवले दोनों की प्रवृत्ति अलग अलग होती है। सांप नेवला एक दूसरे के जानी दुश्मन होते हैं। नेवला सांप से ज्यादा शक्तिशाली होता है। भले ही सांप कितना भी जहरीला क्यों ना हो लेकिन उसके सामने सांप का कोई बस नहीं चलता। इसी वजह से जैसे ही नेवला सांप को देखता है तो उसके फन कुचल देता है। यानी कि इन दोनों की दोस्ती कभी नहीं हो सकती।
अब बात करते हैं बकरी और बाघ। बाघ बकरी से बहुत ज्यादा शक्तिशाली होता है। वो अपना शिकार किसी के लिए भी नहीं छोड़ता। अगर उसे भूख लगी है तो वो भी नहीं देखता कि उसके सामने कौन हैं। इसी वजह से बाघ और बकरी की दोस्ती कभी नहीं हो सकती। बाघ की तुलना में बकरी हमेशा ही कमजोर होती है। इसलिए इन दोनों की दोस्ती कभी भी नहीं जमती।
आचार्य चाणक्य का कहना है कि दोस्ती हमेशा बराबरी में करनी चाहिए। बिना बराबरी की दोस्ती ज्यादा दिनों तक नहीं चलती। भले ही दोनों में कितनी भी समझदारी क्यों ना हो लेकिन मन में कई बार ऐसे विचार हिलोरे मारते हैं कि वो मनुष्य को अपने बस में ले ही लेता है।
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