आजकल की भागती दौड़ती जिंदगी में इंसान के पास खुद के लिए समय निकालना भी मुश्किल है। ऑफिस और घर के बीच मैनेज करते-करते उसका पूरा दिन ऐसी ही व्यतीत हो जाता है। कई बार वो मैनेज करते-करते कुछ ऐसी गलतियां कर देता है जो आगे चलकर बड़ी मुश्किल खड़ी कर सकती हैं। ऐसे में अगर आप आचार्य चाणक्य की नीतियों और अनुमोल विचारों को अपनाएंगे तो जीवन व्यतीत करना आसान हो जाएगा। इसके साथ ही जीवन में हमेशा खुशहाली बरकरार रहेगी। आचार्य चाणक्य के इन विचारों में से एक विचार का आज हम विश्लेषण करेंगे। आज का ये विचार ज्ञानी और छल-कपट रहित व्यक्ति को जिम्मेदारी का पद देने पर है।
"ज्ञानी और छल-कपट से रहित शुद्ध मन वाले व्यक्ति को ही मंत्री बनाएं।" आचार्य चाणक्य
आचार्य चाणक्य ने अपने इस सुविचार में कहा है कि ज्ञानी और छल-कपट रहित व्यक्ति को ही जिम्मेदार पद सौंपना चाहिए। ऐसा न करना घातक हो सकता है। अगर छल-कपट से युक्त और ज्ञान रहित व्यक्ति किसी जिम्मेदार पद पर होता है तो वो न केवल उस पद की गरिमा को बनाए रखने में असमर्थ होता है बल्कि प्रतिष्ठा को भी दांव पर भी लगा देता है।
उदाहरण के तौर पर अगर किसी व्यक्ति ने अपना मार्ग दर्शक सही चुना है तो वो उसको सही सलाह ही देगा। एक मार्ग दर्शक किसी की भी जिंदगी को सही राह देने का काम करता है। अगर वो खुद ही ज्ञान रहित होगा और मन में छल-कपट भरा होगा तो वो हर काम गलत ही करेगा। वो न केवल अपने जीवन को बर्बाद कर देगा बल्कि जिसका वो मार्ग दर्शन कर रहा है उसका जीवन भी नष्ट कर देगा। इसी वजह से आचार्य चाणक्य ने कहा कि भी जिम्मेदार पद पर ज्ञानी और छल-कपट रहित शुद्ध मन वाले व्यक्ति को ही जिम्मेदार पद देना चाहिए।
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