आचार्य चाणक्य की नीतियां और विचार भले ही आपको थोड़े कठोर लगे लेकिन ये कठोरता ही जीवन की सच्चाई है। हम लोग भागदौड़ भरी जिंदगी में इन विचारों को भरे ही नजरअंदाज कर दें लेकिन ये वचन जीवन की हर कसौटी पर आपकी मदद करेंगे। आचार्य चाणक्य के इन्हीं विचारों में से आज हम एक और विचार का विश्लेषण करेंगे। आज का ये विचार कौन किससे जलता है इस पर आधारित है।
'गरीब अमीर से, चरित्रहीन चरित्रवान से, मूर्ख विद्वान से और पापी धर्मात्मा से जलता है।' आचार्य चाणक्य
आचार्य चाणक्य ने इस कथन में चार लोगों का जिक्र किया है। ये चार लोग एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। इसमें आचार्य चाणक्य ने कहा है कि कौन किससे जलता है। आचार्य चाणक्य के अनुसार ये चार लोग भले ही एक दूसरे के विपरीत हों लेकिन एक दूसरे से जलते हैं।
इस कथन के अनुसार गरीब व्यक्ति हमेशा अमीर को देखकर जलता है। ये जलन भले ही उसे एक बार पैसों को लेकर इतनी ना हो लेकिन इस चीज को लेकर जरूर होती है कि सामने वाले के पास सारी सुख सुविधाएं हैं। ये कमी तब ज्यादा खल जाती है जब उसके पास खाने को अन्न का दाना तक ना हो और अमीर लोग पार्टी कर रहे हों।
जो व्यक्ति चरित्रहीन होता है उसे हमेशा इस बात की जलन होती है कि सामने वाला कैसे चरित्रवान है। ऐसा इसलिए क्योंकि चरित्रवान व्यक्ति की हर जगह और हमेशा तारीफ होती है। जबकि चरित्रहीन व्यक्ति एक बार बदनाम हो गया तो वो लाख कोशिशों के बाद भी समाज में वो इज्जत नहीं पा सकता जो चरित्रवान व्यक्ति को मिलती है।
मूर्ख व्यक्ति हमेशा विद्वान व्यक्ति से जलता है। दरअसल, मूर्ख व्यक्ति कुछ भी क्यों ना बोल लें लेकिन उसके मुंह से जो भी निकलेगा वो ठीक नहीं निकलेगा। वहीं दूसरी तरफ विद्वान व्यक्ति जो कुछ भी बोलेगा वो तारीफ के काबिल होगा।
वहीं पापी व्यक्ति की बात की जाए तो वो हमेशा धर्मात्मा से घबराएगा। पापी व्यक्ति के मन में हमेशा खोट होता है। वो जो कुछ भी करता है उसके पीछे उसका खोट ही होता है। जबकि धर्मात्मा व्यक्ति अपने से पहले दूसरों के सुख और दुख की चिंता करता है। इसी वजह से आचार्य चाणक्य ने कहा है कि ये चार व्यक्ति हमेशा अपने सामने वाले व्यक्ति से जलता है।
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