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जन्म से ही मनुष्य के साथ जुड़ जाती है ये 4 चीजें, बार-बार कोशिश करने के बाद भी दूसरा कभी नहीं कर सकता हासिल

खुशहाल जिंदगी के लिए आचार्य चाणक्य ने कई नीतियां बताई हैं। अगर आप भी अपनी जिंदगी में सुख और शांति चाहते हैं तो चाणक्य के इन सुविचारों को अपने जीवन में जरूर उतारिए।

Written by: India TV Lifestyle Desk
Updated : August 10, 2020 7:26 IST
Chanakya Niti
Image Source : INDIA TV Chanakya Niti-चाणक्य नीति

आचार्य चाणक्य की नीतियां और विचार भले ही आपको थोड़े कठोर लगे लेकिन ये कठोरता ही जीवन की सच्चाई है। हम लोग भागदौड़ भरी जिंदगी में इन विचारों को भरे ही नजरअंदाज कर दें लेकिन ये वचन जीवन की हर कसौटी पर आपकी मदद करेंगे। आचार्य चाणक्य के इन्हीं विचारों में से आज हम एक और विचार का विश्लेषण करेंगे। आज का ये विचार जन्मजात गुणों पर आधारित है।

'उदारता, प्रेमदायक भाषण, हिम्मत और अच्छा चरित्र कभी प्राप्त नहीं किया जा सकता, ये सारे जन्मजात गुण ही होते है।' आचार्य चाणक्य

इस कथन में आचार्य चाणक्य के कहने का मतलब है कि मनुष्य के अंदर कुछ गुण उसे जन्म से ही प्राप्त होते हैं। इन गुणों में उदारता, प्रेमदायक भाषण, हिम्मत और अच्छा चरित्र है। इन्हें कभी ही पाया नहीं जाता। ये सारे गुण मनुष्य को उसके जन्म से ही मिलते हैं। यानी कि अगर किसी व्यक्ति में ये गुण नहीं है और वो इसे पाना चाहता है तो ऐसा नहीं हो सकता।

अपने गुणों के कारण ही मनुष्य समाज में लोगों के बीच पहचान बनाता है। इन गुणो में दूसरों का हमेशा भला करना, किसी भी काम को करने की हिम्मत होना और मजबूत चरित्र शामिल हैं। यही गुण है जो किसी भी इंसान के व्यक्तित्व को मजबूत बनाते हैं। कई बार ऐसा होता है कि इंसान में इन गुणों में से कोई भी गुण नहीं होता। वो दूसरों को देखकर इन गुणों को अपने अंदर समाना चाहता है लेकिन क्योंकि ये गुण उसे जन्म से ही उपहार में नहीं मिले इसलिए वो उसे ग्रहण नहीं कर पाता। 

 
जन्म लेने के साथ ही ईश्वर मनुष्य को कुछ गुणों से भरपूर भेजता है। हर व्यक्ति का गुण दूसरे से अलग होता है इसी वजह से सबका व्यक्तित्व भी अलग होता है। व्यक्तित्व और गुणों का खास संबंध होता है। दोनों एक दूसरे पर भी निर्भर करते हैं। व्यक्ति के अंदर जो भी गुण होंगे वहीं उसके व्यक्तित्व की आधारशिला होगी। 

अगर कोई ऐसा चाहे कि दोनों अलग-अलग हो तो ऐसा संभव नहीं है। दोनों का एक दूसरे से वैसे ही कनेक्शन है जैसा कि शरीर का आत्मा से। जिस तरह से शरीर से आत्मा अलग होते ही मनुष्य मरा माना जाता है ठीक उसी प्रकार गुण रहित व्यक्ति समाज में शून्य होता है। इसीलिए आचार्य चाणक्य ने कहा है कि किसी भी गुण को हासिल नहीं किया जा सकता। ये सभी मनुष्य के जन्म से ही उसे मिलते हैं। 

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