आचार्य चाणक्य की नीतियां और विचार भले ही आपको थोड़े कठोर लगे लेकिन ये कठोरता ही जीवन की सच्चाई है। हम लोग भागदौड़ भरी जिंदगी में इन विचारों को भरे ही नजरअंदाज कर दें लेकिन ये वचन जीवन की हर कसौटी पर आपकी मदद करेंगे। आचार्य चाणक्य के इन्हीं विचारों में से आज हम एक और विचार का विश्लेषण करेंगे। आज का ये विचार सत्य पर आधारित है।
"पृथ्वी सत्य पे टिकी हुई है। ये सत्य की ही ताकत है, जिससे सूर्य चमकता है और हवा बहती है। वास्तव में सभी चीज़ें सत्य पे टिकी हुई हैं।" आचार्य चाणक्य
आचार्य चाणक्य के इस कथन का मतलब है कि सभी कुछ सत्य पर टिका हुआ है। पृथ्वी भी इसी पर आधारित है। चाणक्य का कहना है कि ये सत्य ही है जिससे सूर्य चमकता है और हवा बहती है। यानी कि जिस तरह पृथ्वी का आधार सत्य है उसी तरह मनुष्य के जीवन का आधार सत्य ही होना चाहिए। झूठ, फरेब, नफरत और हिंसा जीवन में सिर्फ परेशानियां लेकर ही आते हैं।
कई बार ऐसा होता है कि मनुष्य एक सच को छुपाने के लिए कई झूठ बोलता है। उस समय उसे लगता है कि सिर्फ एक झूठ ही तो है इससे किसी का क्या बिगड़ जाएगा। लेकिन इस बात का हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि एक झूठ भी कई बार भारी पड़ जाता है। अगर झूठ किसी की भलाई के लिए एक या दो बार बोला गया तो फिर भी उसे माफ किया जा सकता है। लेकिन जीवन का आधार ही झूठ है तो वो आपका जीवन दुख तकलीफों से भर सकता है।
कुछ लोग ऐसे होते हैं कि वो अपनी गलती छुपाने या फिर दूसरों को तंग करने के लिए बार-बार झूठ का सहारा लेते हैं। ऐसे व्यक्तियों का एक दिन तो असली चेहरा जरूर सामने आता है। असलियत सामने आने पर ऐसे व्यक्ति का समाज में सम्मान और रुतबा दोनों ही कम हो जाता है। यहां तक कि ऐसे व्यक्ति पर लोग भरोसा भी नहीं करते। इसी वजह से आचार्य चाणक्य ने कहा है कि जिस तरह सूर्य हमेशा तच कर लोगों की जिंदगी में उजाला लाता है और हवा लोगों को जीने के लिए सांस देती है। मनुष्य को अपना जीवन भी इसी तरह आदर्शवादी बनाना चाहिए।
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