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इस एक चीज का त्याग करके ही मनुष्य दुख और भय पर पा सकता है काबू, वरना अंजाम होगा खतरनाक

खुशहाल जिंदगी के लिए आचार्य चाणक्य ने कई नीतियां बताई हैं। अगर आप भी अपनी जिंदगी में सुख और शांति चाहते हैं तो चाणक्य के इन सुविचारों को अपने जीवन में जरूर उतारिए।

Written by: India TV Lifestyle Desk
Published on: July 31, 2020 6:11 IST
Chanakya Niti- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV Chanakya Niti-चाणक्य नीति

आचार्य चाणक्य की नीतियां और विचार भले ही आपको थोड़े कठोर लगे लेकिन ये कठोरता ही जीवन की सच्चाई है। हम लोग भागदौड़ भरी जिंदगी में इन विचारों को भरे ही नजरअंदाज कर दें लेकिन ये वचन जीवन की हर कसौटी पर आपकी मदद करेंगे। आचार्य चाणक्य के इन्हीं विचारों में से आज हम एक और विचार का विश्लेषण करेंगे। आज का ये विचार लगाव का त्याग करने पर आधारित है।

"वो जो अपने परिवार से अति लगाव रखता है भय और दुख में जीता है। सभी दुखों का मुख्य कारण लगाव ही है, इसलिए खुश रहने के लिए लगाव का त्याग आवशयक है।" आचार्य चाणक्य

आचार्य चाणक्य के इस कथन का मतलब है कि लगाव ही एक ऐसी चीज है जो मनुष्य को भय और दुख में जीने को मजबूर कर देती है। अगर सभी दुखों से व्यक्ति को छुटकारा पाना है तो किसी के प्रति ज्यादा लगाव न रखें। ऐसा करके ही आप खुशहाल जीवन जी सकते हैं। 

मनुष्य की प्रवृत्ति में लगाव निहित है। इसी लगाव के चलते वो अपने परिवार के हर सदस्य से जुड़ा रहता है। किसी को भी एक खरोंच आती है तो लगाव की वजह से ही उसे भी दुख होता है। यहां तक कि परिवार से दूर जाना, अपने से ज्यादा दूसरे के बारे में सोचना ये सब लगाव की वजह से ही होता है। यही लगाव जब बढ़ जाता है तो इंसान के मन में अपने आप ही डर भी पैदा कर देता है। ये डर किसी अपने को खो देने का होता है। हद से ज्यादा लगाव होने की वजह से कई बार आपके दिमाग में इस तरह के ख्याल भी आने लगते हैं कि आपसे कोई अपना दूर चला जाएगा। 

ये डर कई बार इंसान के जीवन पर इतना हावी हो जाता है कि 24 घंटे उसके दिमाग में यही चलता है। इस लगाव की चपेट में आने से ही मनुष्य की सारी खुशियां तबाह हो जाती हैं। यहां तक कि उसकी जिंदगी में दुख और डर कब्जा जमाए रहते हैं। इसी वजह से आचार्य चाणक्य ने कहा है कि परिवार से ज्यादा लगाव रखना दुख और भय का कारण है। मनुष्य को इसका त्याग कर देना चाहिए। 

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