आचार्य चाणक्य की नीतियों और विचारों को जिसने भी जीवन में जगह दी वो सफलता के पथ पर अग्रसर है। अगर आप भी सफलता के मार्ग पर चलना चाहते हैं तो आचार्य चाणक्य के इन विचारों को जीवन में गांठ बांध लें। आचार्य चाणक्य के इन्हीं विचारों में से आज हम एक विचार का विश्लेषण करेंगे। आज का ये विचार
"दंड का भय ना होने से लोग अकार्य करने लगते हैं।" आचार्य चाणक्य
आचार्य चाणक्य कहना है कि अगर किसी व्यक्ति को दंड का भय नहीं है तो वो ऐसे कार्य करने लगता है जो उसे नहीं करना चाहिए। इन कार्यों से वो दूसरों को नुकसान भी पहुंचा सकता है। इसी वजह से कोई भी संस्थान क्यों न हो, सभी के अपने नियम होते हैं। इन्हीं नियमों का पाल उस कंपनी में काम करने वाले सारे कर्मचारी करते हैं। ऐसे में अगर कोई भी व्यक्ति नियम को तोड़ेगा को उसे दंड जरूर मिलेगा।
दंड मिलने के डर से ही व्यक्ति खुद को किसी भी गलत कार्य को करने से रोके रहता है। ऐसा इसलिए क्योंकि उसे पता होता है कि अगर उसने नियम का उल्लंघन किया तो उसे सजा जरूर मिलेगी। इस भय से ही वो गलती से भी किसी गलती को करने के बारे में नहीं सोचता।
इसके विपरीत अगर नियम नहीं होगा तो व्यक्ति के ऊपर किसी भी तरह का कंट्रोल नहीं होगा। ऐसा व्यक्ति के पास कुछ भी करने की छूट होती है। उसे ये भी पता होता है कि अगर वो ऐसा करेगा तो उसे कोई भी कुछ नहीं कहेगा। इसके साथ ही किसी के साथ किसी भी तरह का बर्ताव कर सकता है। इसीलिए आचार्य चाणक्य का कहना है कि दंड का भय न होने से लोग अकार्य करने लगते हैं। दंड का भय कानून व्यवस्था को बनाए रखने, परिवार तो संजो कर रखने के लिए भी बहुत जरूरी है।
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