जीवन की सफलता की कुंजी आचार्य चाणक्य की नीतियों और विचारों में निहित है। इन्हें जिस किसी ने भी अपने जीवन में उतार लिया तो वो किसी भी मुसीबत का डटकर सामना कर सकता है। आचार्य चाणक्य के कई विचारों में से आज हम एक विचार का विश्लेषण करेंगे। आज का ये विचार सहयोग पर आधारित है।
"एक अकेला पहिया नहीं चला करता।" आचार्य चाणक्य
आचार्य चाणक्य के इस कथन का मतलब है कि एक अकेला पहिया नहीं चल सकता। इसका अर्थ है कि बिना किसी सहयोग के कोई भी काम नहीं किया जा सकता। कई बार लोग ये सोचते हैं कि वो किसी सहयोग के बिना ही अपना काम पूरा कर लें। वो काम पूरा भी हो जाता है। ऐसे में मनुष्य को ऐसा लगता है कि उसने जो भी काम किया है उसमें उसने किसी का सहारा नहीं लिया। हालांकि होता ठीक इसके उलट है। कोई भी काम एक कड़ी के रूप में आगे बढ़ता है।
जैसे कि अगर आप किसी दुकान से समान लेकर आए। आपको सोचा कि इसमें किसा का क्या सहयोग है। आप दुकान पर खुद गए और पैसे देकर सामन खरीद लिया। ऐसे में किसी ने आपका क्या सहयोग किया, अगर आप ये सोच रहे हैं तो ऐसा बिल्कुल नहीं है। जिस दुकान से आप सामान लेकर आए हैं वो दुकानदार मंडी से सामान लेकर आया है। मंडी तक सामान किसी और के जरिए पहुंचा। यानी कि जब तक आपके घर तक सामन पहुंचा तब तक इसमें कई लोगों का सहयोग शामिल हो गया।
अब जरा इसे परिवार से जोड़कर देखिए। पति और पत्नी जीवन की गाड़ी के दो पहिए होते हैं। दोनों के विचार और स्वभाव एक दूसरे से अलग हो सकते हैं। लेकिन जीवन की गाड़ी को चलाने के लिए दोनों को किसी एक मत पर सहमत होना होगा। बिना एक दूसरे के सहयोग से दोनों अपनी जीवन की गाड़ी को आगे नहीं बढ़ा सकते। अगर दोनों में से कोई भी एक ये सोचे कि वो अकेले ही जीवन को खुशनुमा बना देंगे तो ऐसा होना संभव नहीं हैं क्योंकि एक अकेला पहिया नहीं चल सकता।
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