आचार्य चाणक्य की नीतियां और विचार भले ही आपको थोड़े कठोर लगे लेकिन ये कठोरता ही जीवन की सच्चाई है। हम लोग भागदौड़ भरी जिंदगी में इन विचारों को भरे ही नजरअंदाज कर दें लेकिन ये वचन जीवन की हर कसौटी पर आपकी मदद करेंगे। आचार्य चाणक्य के इन्हीं विचारों में से आज हम एक और विचार का विश्लेषण करेंगे। आज का ये विचार मनुष्य की अच्छाई पर आधारित है।
"फूलों की खुशबू हवा की दिशा में ही फैलती है, लेकिन एक व्यक्ति की अच्छाई चारों तरफ फैलती है।" आचार्य चाणक्य
आचार्य चाणक्य ने अपने इस विचार में फूलों की खुशबू का जिक्र मनुष्य की अच्छाई से किया है। आचार्य चाणक्य के इस कथन का मतलब है कि फूलों की खुशबू हवा के रुख की तरफ की फैलती है। लेकिन मनुष्य की अच्छाई चारों तरफ फैलती है। उदाहरण के तौर पर जैसे कि आपने एक फूल वाला पौधा अपनी बालकनी में लगाया। जब इस पेड़ में फूल आ जाएंगें तो इसकी भीनी-भीनी खुशूब जिस तरफ हवा का रुख है उसी तरफ फैलेगी। ये खूशबू इतनी तेज होगी कि लोग अपने आप इससे आकर्षित होने लगेंगे लेकिन सिर्फ एक तबके के लोग जो उस दिशा में होंगे। इसके ठीक उलट मनुष्य की अच्छाई चारों दिशाओ में फैलेगी।
इन दोनों में एक चीज सामान्य है और वो है दोनों का गुण। फूलों की खूशबू भले ही हवा के रुख की तरफ ही फैलेगी लेकिन लोगों को अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए काफी है। अगर आप अपने जीवन में अच्छे कार्य करते हैं तो लोग आपकी तारीफ अपने आप करते हैं। इसके लिए आपको किसी से बताने की जरूरत नहीं होगी कि आपने ये अच्छा काम किया है। क्योंकि जिस तरह से आपकी परछाई आपका साथ कभी पीछा नहीं छोड़ती उसी तरह से कर्म भी कभी पीछा नहीं छोड़ते। अगर आप अच्छा कार्य करेंगे तो आपको उसका अच्छा परिणाम जरूर मिलेगा।
आचार्य चाणक्य का कहना है कि हमेशा मनुष्य को अच्छे काम ही करने चाहिए। कोशिश यही करनी चाहिए कि उसके द्वारा कोई भी गलत काम न हो। इसके साथ ही वो दूसरों को भी अच्छाई के रास्ते पर चलने की शिक्षा दें। ऐसा व्यक्ति जीवन में हमेशा सफल रहता है।
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