आचार्य चाणक्य ने सुखी और आनंदमय जीवन के लिए कुछ नीतियां और विचार व्यक्त किए हैं। इन नीतियों और विचारों को जिसने भी अपने जीवन में उतार लिया उसका जीवन सफल है। ये विचार आपने कई बार लोगों से सुने होंगे लेकिन जीवन में उतारने को लेकर विचार शायद नहीं किया होगा। अगर आप अच्छी तरह से जीवन व्यतीत करना चाहते हैं तो इन विचारों को अपने जीवन में जगह देना बहुत जरूरी है। आचार्य चाणक्य की इन्हीं विचारों में से आज हम एक विचार का विश्लेषण करेंगे। आज का ये विचार मधुर आवाज पर आधारित है।
"जिस आदमी से हमें काम लेना है, उससे हमें वही बात करनी चाहिए जो उसे अच्छी लगे। जैसे एक शिकारी हिरन का शिकार करने से पहले मधुर आवाज में गाता है।" आचार्य चाणक्य
आचार्य चाणक्य ने इस कथन में कहा है कि जिस व्यक्ति से आपको काम हो उससे उसी तरह से बात करनी चाहिए जो तरीका उसे पसंद हो। यानी कि अगर आपको किसी व्यक्ति से काम है तो आपको उसके मन मुताबिक अंदाज में ही बात करनी होगी। ऐसा करके ही आप अपने काम को सफलता पूर्वक कर पाएंगे। कई बार ऐसा होता है कि आप किसी से अपना काम करवाना चाहते तो हैं लेकिन आपकी भाषा, बॉडी लैग्वेज नकारात्मक संकेत देती है। ऐसे में आपका बनता हुआ काम भी बिगड़ सकता है। आपको जिससे काम है उससे ठीक उसी तरह बात करनी चाहिए जैसे मौका पड़ने पर शिकारी हिरन के लिए मधुर आवाज में गाता है।
शिकारी का काम तो शिकार करना है। ऐसे में हिरन को अपने चंगुल में फंसाने के लिए वो मधुर आवाज में गाता है। हिरन को ये मधुर आवाज प्रिय लगती है जिस वजह से वो खुद ही उसके बिछाए जाल में फंस जाता है। अगर आपको भी किसी से काम है तो आपको सामने वाले के साथ शिकारी की तरह सोच-समझकर काम करना होगा। ऐसा करके ही आप किसी दूसरे व्यक्ति से अपना काम निकलवा सकते हैं।
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