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दूसरों में दोष ढूंढने के चक्कर में मनुष्य खुद का करता है ऐसा नुकसान, चाह के भी नहीं कर सकता भरपाई

खुशहाल जिंदगी के लिए आचार्य चाणक्य ने कई नीतियां बताई हैं। अगर आप भी अपनी जिंदगी में सुख और शांति चाहते हैं तो चाणक्य के इन सुविचारों को अपने जीवन में जरूर उतारिए।

Written by: India TV Lifestyle Desk
Published on: March 06, 2021 6:07 IST
Chanakya Niti-चाणक्य नीति- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV Chanakya Niti-चाणक्य नीति

आचार्य चाणक्य की नीतियां और विचार भले ही आपको थोड़े कठोर लगे लेकिन ये कठोरता ही जीवन की सच्चाई है। हम लोग भागदौड़ भरी जिंदगी में इन विचारों को भले ही नजरअंदाज कर दें लेकिन ये वचन जीवन की हर कसौटी पर आपकी मदद करेंगे। आचार्य चाणक्य के इन्हीं विचारों में से आज हम एक और विचार का विश्लेषण करेंगे। आज का ये सुधार पर आधारित है।

'दूसरों में दोष ढूंढने में वक्त बर्बाद ना करें, खुद में सुधार की गुंजाइश खत्म हो जाती है।' आचार्य चाणक्य

आचार्य चाणक्य के इस कथन का अर्थ है कई मनुष्य ऐसे होते हैं जिन्हें दूसरों के अंदर दोष ढूंढने की ज्यादा इच्छा होती है। ऐसा इसलिए क्योंकि इस काम को करने में सबसे ज्यादा सुकून मिलता है। लेकिन वो इस बात को भूल जाते हैं कि ऐसा करने से उनमें सुधार की जो बची कुची गुंजाइश होती है वो भी खत्म हो जाती है। 

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असल जिंदगी में आपको कई स्वभाव वाले व्यक्ति मिल जाएंगे। इनमें से कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो सिर्फ दूसरों में कमियां निकालते हैं। उन्हें लगता है कि दुनिया में अगर कोई परफेक्ट है तो वो खुद हैं। वहीं बाकी लोगों में ढेर सारी कमियां हैं। वो अपनी इस गलतफहमी को इतना ज्यादा बढ़ा देते हैं कि इसके आगे उन्हें कुछ भी दिखाई नहीं देता। इसी गलतफहमी में वो ऐसा कुछ कर जाते हैं जो उन्हें नहीं करना चाहिए। इन्ही में से एक काम दूसरों में कमियों को ढूंढना है।

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इस तरह के स्वभाव वाले व्यक्ति बस दूसरों में कमियां निकालते रहते हैं। कुछ लोग तो ऐसे होते हैं कि भले ही उनमें लाखों कमियां हों लेकिन अपनी कमी को छिपाकर दूसरों के दोषों को ढूंढने में माहिर हो जाते हैं। अगर आप भी कुछ ऐसा ही करते हैं तो ना करें। ऐसा व्यक्ति इस एक चीज में इतना खो जाता है कि उसकी प्रवृत्ति वैसे ही बन जाती है। इस तरह के व्यक्ति को कोई भी पसंद नहीं करता। इसी वजह से आचार्य चाणक्य ने कहा है कि दूसरों में दोष ढूंढने में वक्त बर्बाद ना करें, खुद में सुधार की गुंजाइश खत्म हो जाती है।

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