आचार्य चाणक्य की नीतियां और विचार भले ही आपको थोड़े कठोर लगे लेकिन ये कठोरता ही जीवन की सच्चाई है। हम लोग भागदौड़ भरी जिंदगी में इन विचारों को भले ही नजरअंदाज कर दें लेकिन ये वचन जीवन की हर कसौटी पर आपकी मदद करेंगे। आचार्य चाणक्य के इन्हीं विचारों में से आज हम एक और विचार का विश्लेषण करेंगे। आज का ये विचार अहंकार, क्रोध और लालच पर आधारित है।
'अपने रहस्य को किसी को भी ना बताओ क्योंकि ये आदत आपको खत्म कर देगी।' आचार्य चाणक्य
आचार्य चाणक्य के इस कथन का अर्थ है कि मनुष्य को अपने रहस्य किसी को भी बताना नहीं चाहिए। ऐसा करने वाला मनुष्य अपने भाग्य को दु्र्भाग्य में बदल सकता है। अगर आप अपने रहस्य किसी के साथ शेयर करेंगे तो कभी ना कभी वो आपकी बातें किसी और के साथ शेयर कर सकता है। ऐसा होने पर एक तो आपका राज राज नहीं रहेगा और कोई भी उसका फायदा उठा सकता है।
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असल जिंदगी में मनुष्य का सामना कई लोगों से होता है। कुछ लोग मनुष्य की जिंदगी में इतने ज्यादा करीबी हो जाते हैं कि वो उन पर आंख बद करके भी भरोसा कर लेता है। उस वक्त तो ऐसा लगता है कि ये आपका सच्चा दोस्त है तो कभी भी आपके दिल की बात किसी और से साझा नहीं करेगा। हालांकि वो ये भूल जाता है कि मनुष्य की एक प्रवृत्ति विपत्ति आने पर या फिर अपना फायदा होते देख वो किसी चीज का भी इस्तेमाल अपने फायदे के लिए कर सकता है।
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उस वक्त वो ये नहीं सोचेगा कि सामने वाले ने उसे अपना सीक्रेट भरोसे के साथ बताया है। उसकी आंखों पर लालच का ऐसा पर्दा पड़ जाता है कि उसे उसके सामने कुछ भी दिखाई नहीं देता। इसी वजह से वो आपका राज किसी और से साझा करते वक्त एक मिनट का वक्त नहीं लगाता। हालांकि कई बार ऐसा होता है कि लोग दूसरों के राज अपने सीने में ऐसे छिपा कर रखते हैं कि मानों उन्हें सामने वाले के बारे में कुछ पता ही ना हो,हालांकि ऐसे लोग बहुत कम होते हैं। इसी वजह से आचार्य चाणक्य ने कहा है कि अपने रहस्य को किसी को भी ना बताओ क्योंकि ये आदत आपको खत्म कर देगी।