Monday, December 23, 2024
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दूसरों की इस एक चीज से प्रभावित होकर कभी ना करें ये काम, जीते जी खुद का कर लेंगे खात्मा

Chanakya Niti : खुशहाल जिंदगी के लिए आचार्य चाणक्य ने कई नीतियां बताई हैं। अगर आप भी अपनी जिंदगी में सुख और शांति चाहते हैं तो चाणक्य के इन सुविचारों को अपने जीवन में जरूर उतारिए।

Written by: India TV Lifestyle Desk
Updated : March 03, 2021 18:33 IST
Chanakya Niti in Hindi: खुशहाल जिंदगी के लिए आचार्य चाणक्य ने कई नीतियां बताई हैं। अगर आप भी अपनी जि
Image Source : INDIA TV Chanakya Niti in Hindi: खुशहाल जिंदगी के लिए आचार्य चाणक्य ने कई नीतियां बताई हैं। अगर आप भी अपनी जिंदगी में सुख और शांति चाहते हैं तो चाणक्य के इन सुविचारों को अपने जीवन में जरूर उतारिए।

आचार्य चाणक्य की नीतियां और विचार भले ही आपको थोड़े कठोर लगे लेकिन ये कठोरता ही जीवन की सच्चाई है। हम लोग भागदौड़ भरी जिंदगी में इन विचारों को भले ही नजरअंदाज कर दें लेकिन ये वचन जीवन की हर कसौटी पर आपकी मदद करेंगे। आचार्य चाणक्य के इन्हीं विचारों में से आज हम एक और विचार का विश्लेषण करेंगे। आज का ये विचार दूसरों की राय पर आधारित है।

'दूसरों की राय से प्रभावित होकर तुम कभी अपने अंदर की आवाज को खो मत देना।' आचार्य चाणक्य

आचार्य चाणक्य के इस कथन का अर्थ है कि मनुष्य को हमेशा अपने अंदर की आवाज को तवज्जो देना चाहिए। कई बार ऐसा होता है कि मनुष्य दूसरों की बात को अपने ऊपर इस कदर हावी होने देता है कि अपनी अंतरआत्मा को खत्म कर देता है। 

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असल जिंदगी में आपको कई तरह के लोग मिलेंगे। इनमें से कुछ लोग बुरी सोच वाले होंगे तो कुछ अच्छी। आचार्य चाणक्य का कहना है कि मनुष्य को हमेशा अपने अंदर की आवाज को सुनना चाहिए। किसी की भी बातों में आकर अपने अंदर की आवाज को नजर अंदाज नहीं करना चाहिए। ऐसा करने वाला व्यक्ति धीरे धीरे खुद को खोने लगता है। 

ऐसा भी नहीं है कि आप दूसरों की राय ना सुनें। दूसरों की राय जरूर सुनें। ऐसा जरूरी नहीं है कि हमेशा सामने वाला आपको गलत राय देगा। कई बार सामने वाला आपको इतनी अच्छी राय देगा कि आप गद गद हो जाएंगे। ऐसे में हमेशा इस बात का ध्यान रखें कि आप राय तो दूसरों की मानें लेकिन उसी मानें या नहीं मानें वो अंतरआत्मा की आवाज पर निर्धारित करें। 

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कई बार ऐसा होता है कि किसी काम को करने में आपका जी घबराने लगता है। आपको अंदर से ऐसी फीलिंग आती है कि ऐसा करना ठीक नहीं है या फिर ऐसा करना ठीक है। दोनों ही परिस्थितियों में वहीं करे जो आपका दिल कहे। इसी वजह से आचार्य चाणक्य ने कहा है कि दूसरों की राय से प्रभावित होकर तुम कभी अपने अंदर की आवाज को खो मत देना।

 

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