आचार्य चाणक्य की नीतियां और विचार भले ही आपको थोड़े कठोर लगे लेकिन ये कठोरता ही जीवन की सच्चाई है। हम लोग भागदौड़ भरी जिंदगी में इन विचारों को भरे ही नजरअंदाज कर दें लेकिन ये वचन जीवन की हर कसौटी पर आपकी मदद करेंगे। आचार्य चाणक्य के इन्हीं विचारों में से आज हम एक और विचार का विश्लेषण करेंगे। आज का ये विचार किसी पर ज्यादा विश्वास नहीं करना चाहिए इस पर आधारित है।
'किसी पर ज्यादा विश्वास करना उचित नहीं है क्योंकि सांप चाहे कितना भी सुंदर क्यों ना हो उसके अंदर भरा हमेशा जहर ही होता है।' आचार्य चाणक्य
आचार्य चाणक्य के इस कथन का अर्थ है कि किसी पर भी ज्यादा विश्वास नहीं करना चाहिए। ज्यादा विश्वास करना हमेशा खतरनाक साबित होता है। ऐसा इसलिए क्योंकि कई बार लोग आपके इसी विश्वास का फायदा उठाकर ऐसा हमला करते हैं कि आपका बचना मुश्किल हो जाता है। उस वक्त वो ये नहीं देखते कि उनके सामने कौन खड़ा है।
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आचार्य ने अपने इस वाक्य में ज्यादा विश्वास करने वालों की तुलना सांप से की है। आचार्य का कहना है कि कई सांप ऐसे होते हैं जो देखने में बहुत सुंदर होते हैं। ये सांप रंग बिरंगे भी होते हैं। कई बार इन्हें देखकर लोग इनकी खूबसूरती को देखकर आकर्षित भी हो जाते हैं। हालांकि वो उस वक्त ये बात भूल जाते हैं कि सांप कितना भी खूबसूरत क्यों ना हो उसके अंदर जहर ही भरा होता है और मौका मिलने पर वो आपको डंसने से बिल्कुल भी पीछे नहीं हटेगा।
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इसी वजह से किसी पर भी अंधा विश्वास नहीं करना चाहिए। जब लोग किसी पर जरूरत से ज्यादा विश्वास करते हैं तो विश्वासघात की संभावना भी ज्यादा बढ़ जाती है। विश्वास में आकर इंसान सामने वाले को अपने दिल की सारी बातें बता देता है। यहां तक कि अपने वो सीक्रेट भी बता देता है जो उसके दिल के किसी कोने में दफ्न होते हैं। ऐसा करके वो अपने लिए विश्वास घात करने का अस्त्र सामने वाले के हाथ में देता है जिसका अंदाजा उसे खुद भी नहीं होता। इसी वजह से आचार्य चाणक्य ने कहा है कि किसी पर ज्यादा विश्वास करना उचित नहीं है क्योंकि सांप चाहे कितना भी सुंदर क्यों ना हो उसके अंदर भरा हमेशा जहर ही होता है।