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खुशहाल जीवन के लिए मनुष्य की जिंदगी में ऐसे लोगों का होना है बहुत जरूरी, वरना जीवन हो जाएगा व्यर्थ

खुशहाल जिंदगी के लिए आचार्य चाणक्य ने कई नीतियां बताई हैं। अगर आप भी अपनी जिंदगी में सुख और शांति चाहते हैं तो चाणक्य के इन सुविचारों को अपने जीवन में जरूर उतारिए।

Written by: India TV Lifestyle Desk
Published on: December 19, 2020 7:40 IST
Chanakya Niti-चाणक्य नीति- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV Chanakya Niti-चाणक्य नीति

आचार्य चाणक्य की नीतियां और विचार भले ही आपको थोड़े कठोर लगे लेकिन ये कठोरता ही जीवन की सच्चाई है। हम लोग भागदौड़ भरी जिंदगी में इन विचारों को भरे ही नजरअंदाज कर दें लेकिन ये वचन जीवन की हर कसौटी पर आपकी मदद करेंगे। आचार्य चाणक्य के इन्हीं विचारों में से आज हम एक और विचार का विश्लेषण करेंगे। आज का ये विचार रिश्तों पर आधारित है। 

'जीवन में ज्यादा रिश्ते होना जरूरी नहीं है, पर जो रिश्ते है उनमें जीवन होना जरूरी है।' आचार्य चाणक्य

आचार्य चाणक्य के इस कथन का अर्थ है कि मनुष्य का जन्म के साथ सबसे पहले रिश्ता अपनी मां से जुड़ा रहता है। साथ ही पिता और भाई बहनों से। इसके बाद बच्चा जैसे जैसे बड़ा होता है उसके जीवन की डोर में कई रिश्ते बंध जाते हैं। स्कूल से कॉलेज और कॉलेज से नौकरी तक, रिश्तों की डोर लंबी होती चली जाती हैं। लेकिन मनुष्य को हमेशा इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि जीवन में उन्हीं लोगों को ज्यादा तवज्जो दे जो वाकई में उसके दिल के करीब हो। 

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कई बार असल जिंदगी में ऐसा होता है कि मनुष्य के पास नाम के तो ढेर सारे रिश्ते होते हैं। लेकिन जरूरत पड़ने पर उसके पास सिर्फ चंद लोग ही मौजूद होते हैं। इसीलिए मनुष्य को अपनी जिंदगी में हमेशा रिश्ते और उनसे जुड़े लोगों की अहमियत का अहसास होना जरूरी है। ऐसा जरूरी नहीं है कि आप जितने लोगों को जानते हों उन सभी से आपका दिल का रिश्ता जुड़ा हो। कुछ रिश्ते ऐसे होते हैं जो हमेशा आपके सुख और दुख में बिना कहे आपके साथ रहते हैं जैसे कि आपका परिवार। परिवार के अलावा कुछ चंद दोस्त या करीबी रिश्तेदार ही होते हैं जो आपके दिल के करीब हों।

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वैसे तो मनुष्य का जीवन में कई लोगों से सामना होता है। कई दोस्त भी बनते हैं। ये आपको खुद परखना होगा कि कौन सा रिश्तेदार या फिर कौन सा दोस्त सिर्फ उंगलियों पर काउंट करने के लिए है और कौन सही में आपका अपना है। कई बार मनुष्य उन लोगों को ज्यादा अहमियत दे देता है जो दोस्त उसके सिर्फ नाम के होते हैं। ऐसा करके वो अपने उन दोस्तों से भी किनारा कर लेता है जो असल मायनों में दोस्ती का मतलब जानते हैं। इसी वजह से आचार्य चाणक्य ने कहा है कि जीवन में ज्यादा रिश्ते होना जरूरी नहीं है, पर जो रिश्ते है उनमें जीवन होना जरूरी है। 

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