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इस एक चीज को सुनने के लिए मनुष्य हमेशा रहता है तैयार और इसे हमेशा करता है इग्नोर

खुशहाल जिंदगी के लिए आचार्य चाणक्य ने कई नीतियां बताई हैं। अगर आप भी अपनी जिंदगी में सुख और शांति चाहते हैं तो चाणक्य के इन सुविचारों को अपने जीवन में जरूर उतारिए।

Edited by: India TV Lifestyle Desk
Published : February 01, 2021 7:17 IST
Chanakya Niti-चाणक्य नीति
Image Source : INDIA TV Chanakya Niti-चाणक्य नीति

आचार्य चाणक्य की नीतियां और विचार भले ही आपको थोड़े कठोर लगे लेकिन ये कठोरता ही जीवन की सच्चाई है। हम लोग भागदौड़ भरी जिंदगी में इन विचारों को भरे ही नजरअंदाज कर दें लेकिन ये वचन जीवन की हर कसौटी पर आपकी मदद करेंगे। आचार्य चाणक्य के इन्हीं विचारों में से आज हम एक और विचार का विश्लेषण करेंगे। आज का ये विचार नसीहत पर आधारित है। 

'नसीहत वह सच्चाई है जिसे हम कभी ध्यान से नहीं सुनते और तारीफ वह धोखा है जिसे हम पूरे ध्यान से सुनते हैं।' आचार्य चाणक्य

आचार्य चाणक्य के इस कथन का अर्थ है कि मनुष्य अपने जीवन में हमेशा एक चीज को ध्यान से सुनता और दूसरी चीज को इग्नोर करता है। मनुष्य जिस चीज को सबसे ज्यादा ध्यान से सुनता है वो एक धोखा है जिसे आप तारीफ कहते हैं। वहीं जिस चीज को ध्यान से नहीं सुनता है वो है नसीहत जो कि सच है।

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असल जिंदगी में कई बार मनुष्य का इन दोनों चीजों से कई बार पाला पड़ता है। सबसे पहले बात करते है नसीहत की। नसीहत ऐसा सच है जिसे मनुष्य कभी भी ध्यान से नहीं सुनता है। फिर चाहे ये नसीहत कोई उसे अपना दें, कोई पराया। हर कोई नसीहत को सुनना इग्नोर ही करता है। ऐसा इसलिए भी होता है क्योंकि सच कड़वा होता है और दूसरा ये भी होता है कि उसे हमेशा ये लगता है कि जो वो सोच रहा है और जो कर रहा है वही सही है। उसे किसी भी तरह की नसीहत की जरूरत नहीं है। 

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अब बात करते हैं धोखा यानी कि तारीफ की। तारीफ एक ऐसी चीज है जिसे मनुष्य सुनने के लिए हर वक्त तैयार रहता है। मनुष्य को इससे मतलब नहीं रहता है सामने वाला तारीफ झूठी कर रहा है या फिर सही में। उसे बस तारीफ से मतलब होता  है। हालांकि ये बात भी उतनी ही सच है कि कई बार लोग तारीफ झूठी कर देते हैं। कई बार सामने वाला आपसे अपना काम निकलवाने के लिए आपकी तारीफ करता है। कई बार आपको बेवकूफ बनाने के लिए तो कई बार सही में। ऐसे में आपका ये तय करना मुश्किल हो जाएगा कि सामने वाला जो तारीफ कर रहा है वो सच है या फिर धोखा। इसी वजह से आचार्य चाणक्य ने कहा है कि नसीहत वह सच्चाई है जिसे हम कभी ध्यान से नहीं सुनते और तारीफ वह धोखा है जिसे हम पूरे ध्यान से सुनते हैं।

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