धर्म डेस्क: हर मनुष्य कभी किसी से धोखा नहीं खाना चाहता और जिंदगी में सफल होना चाहता है। चाणक्य ने इन सब बातों को ध्यान में रखकर ही चाणक्य नीति बनाई थी जो आज के समय भी प्रासंगिक है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं आखिर क्यों चाणक्य ने कहा था कि इंसान को मन की बात मन में रखनी चाहिए और लाज संकोच देख कर करना चाहिए। कुछ बातों को गोपनीय और मन में रखनी चाहिए वरना जग हंसाई होती है
आप का किसी ने अपमान कर दिया, आपको कोई धन हानि हो गई,आप से जुड़ा किसी संबंधी का चाल चरित्र सही नहीं है ये सब बातें जब आपके साथ होती है तो आप क्या करते हो ? क्या आप अपने दु:ख को दूसरे के साथ बांटते हो,क्या ये सभी बातें अन्य लोगों से आप यह सोचकर साझा करते हो कि इससे आपको कोई संतोष मिलेगा या फायदा होगा। जी नहीं ऐसा कुछ नहीं होता बल्कि चाणक्य नीति के अनुसार जो व्यक्ति ऐसा करता है वह दु:ख का भागी बनता है और जिंदगी में उसे सफलता और खुशी दोनों ही दूर होती है।
एक व्यक्ति था बड़ी मेहनत से उसने पैसा बनाया,लोग उसकी बड़ी प्रशंसा करते थे,हर कोई उससे मेल-जोल बढ़ाना पसंद करता था ! उसने एक खूबसूरत लड़की से विवाह किया। उसके मित्रों और शुभचिंतकों की संख्या अच्छी खासी हो गई। लेकिन समय बदलते कहां देर लगती है।
उस व्यक्ति की एक ऐसे व्यक्ति से दोस्ती हो गई जो चरित्र का अच्छा नहीं था और ऐन केन प्रकारेण वह पैसा बनाने में उस्ताद था, उसने पहले तो मित्रता के नाम पर उसके पैसे का कई दूसरे धंधों में निवेश कराया, जिसमें कोई फायदा ना हुआ, व्यापार में नुकसान होने पर दु:खी मित्र की मदद करने के स्थान पर उसने उसे मदिरा की लत लगा दी ।
व्यापारी नशे का आदी हो गया और अपने गम की बात नशे दूसरों से शेयर करता और लोगों की हंसी का पात्र बनता है। वह अपने दोस्त की संगत से दूर रहना चाहता था,उसकी पत्नी ने उसे समझाया भी लेकिन वह संकोच वश कुछ कह नहीं पाता था,परिणाम दु:ख का भागी बना। लेकिन उसकी पत्नी ने संकोच किए बिना अपने पति के बुरे दोस्त को भला बुरा कहकर अपने पति से दूर किया और फिर से दोनों सुखी पूर्वक रहने लगे और उनका व्यापार भी धीरे -धीरे सुधर गया ।
यह तो कहानी थी लेकिन ऐसा आप के साथ ना हो इसलिए चाणक्य नीति के अनुसार हमें ऐसी बातों को मन में ही रखना बेहतर है जिससे हमारी जग हंसाई होने की संभावना अधिक हो। मन की बात मन में रखनी चाहिए साथ ही लाज और संकोच देखकर करना चाहिए।