आचार्य चाणक्य की नीतियां और विचार भले ही आपको थोड़े कठोर लगे लेकिन ये कठोरता ही जीवन की सच्चाई है। हम लोग भागदौड़ भरी जिंदगी में इन विचारों को भले ही नजरअंदाज कर दें लेकिन ये वचन जीवन की हर कसौटी पर आपकी मदद करेंगे। आचार्य चाणक्य के इन्हीं विचारों में से आज हम एक और विचार का विश्लेषण करेंगे। आज के विचार में आचार्य चाणक्य ने कहा है कि सीधे इंसान को सबसे पहले लोग ठगते हैं।
Chanakya Niti: इस चीज से मनुष्य हमेशा रहे कोसों दूर वरना वर्तमान के साथ भविष्य का भी हो जाएगा खात्मा
'जिस प्रकार सीधे खड़े पेड़ को सबसे पहले काटा जाता है, ठीक उसी प्रकार सीधे इंसान को सबसे पहले ठगा जाता है।' आचार्य चाणक्य
आचार्य चाणक्य के इस कथन का अर्थ है कि मनुष्य को ज्यादा सीधा नहीं होना चाहिए। जिस तरह से सीधे खड़े पेड़ को सबसे पहले काटा जाता है, ठीक उसी तरह से सीधे इंसान को ठगा जाता है। असल जिंदगी में लोगों का आमना सामना कई तरह के लोगों से होता है। जब पेड़ छांव देने वाला नहीं होता है तो लोग उसे सबसे पहले काट देते हैं। उन्हें लगता है कि वो उस जगह किसी और पेड़ को लगाएंगे जो उन्हें छांव दें। लेकिन जिस तरह से सीधे खड़े पेड़ को सबसे पहले काटा जाता है ठीक उसी तरह से जो लोग स्वभाव से सरल होते हैं, उन्हें लोग ठगने की कोशिश करते हैं।
Chanakya Niti: ऐसे स्वभाव वाले मनुष्य से डर कर कभी ना लें इस तरह का फैसला
आप कई लोगों से मिले होंगे जो सरल स्वभाव के होंगे। ऐसे लोग दिल के बहुत ही कोमल होते हैं। इन्हें ऐसा लगता है कि दुनिया में हर कोई अच्छा है। लेकिन वो इस बात को भूल जाते हैं कि हर कोई उनकी तरह इस दुनिया में नहीं है। कई बार उनके इस भोलेपन का सामने वाला फायदा उठा लेता है। यहां तक कि उन्हें इस तरह से बेवकूफ बनाता है कि उन्हें ये एहसास तक भी नहीं होता। इसी वजह से आचार्य चाणक्य ने कहा है कि जिस प्रकार सीधे खड़े पेड़ को सबसे पहले काटा जाता है, ठीक उसी प्रकार सीधे इंसान को सबसे पहले ठगा जाता है।