आचार्य चाणक्य की नीतियां और विचार भले ही आपको थोड़े कठोर लगे लेकिन ये कठोरता ही जीवन की सच्चाई है। हम लोग भागदौड़ भरी जिंदगी में इन विचारों को भरे ही नजरअंदाज कर दें लेकिन ये वचन जीवन की हर कसौटी पर आपकी मदद करेंगे। आचार्य चाणक्य के इन्हीं विचारों में से आज हम एक और विचार का विश्लेषण करेंगे। आज का ये विचार आत्मविश्वास पर आधारित है।
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'मैदान में हारा हुआ फिर से जीत सकता है परंतु मन से हारा हुआ कभी जीत नहीं सकता। आपका आत्मविश्वास ही आपकी सर्वश्रेष्ठ पूंजी है।' आचार्य चाणक्य
आचार्य चाणक्य के इस कथन का मतलब है मैदान में अगर कोई व्यक्ति हार गया है तो वो कोशिश करने पर फिर से जीत सकता है। लेकिन अगर किसी व्यक्ति ने ये मन से मान लिया कि वो हार गया है तो फिर उसका जीतना मुश्किल ही नहीं बल्कि नामुमकिन है। ऐसा इसलिए क्योंकि अगर कोई व्यक्ति मन से ही हार स्वीकार कर लें तो वो कभी जीत नहीं सकता। इसके पीछे का कारण उसका वो आत्मविश्वास है जो वो खो चुका है। यानी कि उसके मन में जीतने की ललक खत्म हो गई है। ऐसा व्यक्ति जिंदगी में दोबारा जीत नहीं सकता। वहीं अगर किसी व्यक्ति ने मन से हार नहीं मानी है और वो लगातार लक्ष्य को पाने की कोशिश कर रहा है तो उसका जीतना तय है।
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दरअसल, किसी भी चीज में आत्मविश्वास का होना बहुत जरूरी है। अगर व्यक्ति का खुद पर भरोसा नहीं है तो फिर जीवन में कोई भी ऐसी चीज नहीं है जो उसे जिता सके। उदाहरण के तौर पर...युद्ध में व्यक्ति शीरीरिक बल के अलावा हौसला और मन में विश्वास के साथ मैदान में आखिरी सांस तक लड़ता रहता है। हो सकता है कि उसे कई बार ऐसा लगे कि वो हार जाएगा। उस वक्त उसके मन का विश्वास ही है जो उसे ऐसी परिस्थिति में जीतने का हौसला देता है। मुनासिब है कि इसी हौसले और विश्वास के बदौलत वो मैदान में हारी हुई बाजी आखिर में जीत जाए।
अगर आप जीवन में कुछ भी करना चाहते हैं तो खुद पर विश्वास बनाए रखना बहुत जरूरी है। विश्वास ही एक ऐसी चीज है जो कोई भी किसी से छीन नहीं सकता न ही जोर जबरदस्ती से हासिल कर सकता है। इसीलिए आचार्य चाणक्य ने कहा है कि मैदान में हारा हुआ फिर से जीत सकता है परंतु मन से हारा हुआ कभी जीत नहीं सकता। आपका आत्मविश्वास ही आपकी सर्वश्रेष्ठ पूंजी है।