आचार्य चाणक्य की नीतियां और विचार भले ही आपको थोड़े कठोर लगे लेकिन ये कठोरता ही जीवन की सच्चाई है। हम लोग भागदौड़ भरी जिंदगी में इन विचारों को भले ही नजरअंदाज कर दें लेकिन ये वचन जीवन की हर कसौटी पर आपकी मदद करेंगे। आचार्य चाणक्य के इन्हीं विचारों में से आज हम एक और विचार का विश्लेषण करेंगे। आज का ये विचार अहंकार, क्रोध और लालच पर आधारित है।
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'अहंकार, क्रोध और लालच इंसान की काबीलियत खा जाती है।' आचार्य चाणक्य
आचार्य चाणक्य के इस कथन का अर्थ है कि मनुष्य को तीन चीजें खत्म कर सकती हैं। ये तीन चीजें अहंकार, क्रोध और लालच है। ये तीनों चीजें मनुष्य की काबीयिलत को धीरे-धीरे पूरी तरह से नष्ट कर देती हैं। यहां तक कि उनकी सोचने और समझने की शक्ति तक खत्म हो जाती है। जब ये तीनों चीजें उसके ऊपर हावी हो जाती हैं तो मनुष्य उन चीजों के वशीभूत होकर वही सोचता और समझता है जो उसके लिए ठीक नहीं है।
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सबसे पहले बात करते हैं अहंकार की। जब भी अहंकार मनुष्य के अंदर आता है तो वो सबसे पहले उसकी बुद्धि और बातचीत करने के तरीके में बदलाव लाता है। दूसरा है क्रोध। क्रोध की वजह से मनुष्य अपनी जीभ पर सबसे पहले कंट्रोल खो देता है। वो गुस्से में ऐसे शब्दों का इस्तेमाल कर देता है जो जीवनभर के लिए दुखदायी हो जाते हैं। जबकि लालच मनुष्य को कोई भी हद पार करा सकता है।
अगर इन चीजों में से एक चीज भी मनुष्य के अंदर आ गई तो उसकी काबीलियत का खात्मा निश्चित है। ऐसा मनुष्य ना तो किसी का प्रिय होता है और ना ही परिवार का साथ उसे मिलता है। ऐसा मनुष्य अपने जीवन में सिर्फ और सिर्फ अकेला ही रह जाता है। इसी वजह से आचार्य चाणक्य कहते हैं कि अहंकार, क्रोध और लालच इंसान की काबीलियत खा जाती है।