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दुर्गा अष्टमी 2021: चैत्र नवरात्रि के आठवें दिन करें मां महागौरी की पूजा, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और कन्या पूजन

चैत्र नवरात्रि के आठवें दिन मां दुर्गा की आठवीं शक्ति माता महागौरी की उपासना की जाएगी। इनका रंग पूर्णतः गोरा होने के कारण इन्हें महागौरी कहा जाता है।

Written by: India TV Lifestyle Desk
Published on: April 19, 2021 14:27 IST
दुर्गा अष्टमी 2021: चैत्र नवरात्रि के आठवें दिन करें मां महागौरी की पूजा, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा वि- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV दुर्गा अष्टमी 2021: चैत्र नवरात्रि के आठवें दिन करें मां महागौरी की पूजा, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और कन्या पूजन

चैत्र नवरात्रि के आठवें दिन मां दुर्गा की आठवीं शक्ति माता महागौरी की उपासना की जाएगी। इनका रंग पूर्णतः गोरा होने के कारण इन्हें महागौरी कहा जाता है। इस दिन कन्या पूजन करने का भी विधान है। लेकिन इस कोरोना महामारी बहुत तेजी से फैल रहा है। इसलिए घर पर मौजूद ही कन्याओं को भोजन कराएं। 

ऐसा है महागौरी का स्वरूप

शास्त्रों के अनुसार मान्यता है कि महागौरी को शिवा भी कहा जाता है। इनके हाथ में दुर्गा शक्ति का प्रतीक त्रिशूल है तो दूसरे हाथ में भगवान शिव का प्रतीक डमरू है। अपने सांसारिक रूप में महागौरी उज्ज्वल, कोमल, श्वेत वर्णी तथा श्वेत वस्त्रधारी और चतुर्भुजा हैं। इनके एक हाथ में त्रिशूल और दूसरे में डमरू है तो तीसरा हाथ वरमुद्रा में हैं और चौथा हाथ एक गृहस्थ महिला की शक्ति को दर्शाता हुआ है। महागौरी को गायन और संगीत बहुत पसंद है। ये सफेद वृषभ यानी बैल पर सवार रहती हैं। इनके समस्त आभूषण आदि भी श्वेत हैं। महागौरी की उपासना से पूर्वसंचित पाप भी नष्ट हो जाते हैं।

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मां महागौरी पूजा शुभ मुहूर्त

अष्टमी तिथि प्रारंभ- 20 अप्रैल 2021 को आधी रात 12 बजकर 2 मिनट से
अष्टमी तिथि समाप्त- 21 अप्रैल 2021 को आधीरात 12 बजकर 44 मिनट तक

अष्टमी तिथि शुभ मुहूर्त

 ब्रह्म मुहूर्त- 20 अप्रैल सुबह 4 बजकर 11 मिनट से सुबह 4 बजकर 55 मिनट तक
अभिजित मुहूर्त- 20 अप्रैल सुबह 11 बजकर 42 मिनट से दोपहर 12 बजकर 33 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त- 20 अप्रैल शाम 6 बजकर 22 मिनट से शाम बजकर 6 बजकर 46 मिनट तक
विजय मुहूर्त- 20 अप्रैल दोपहर 2 बजकर 17 मिनट से शाम 3 बजकर 8 मिनट तक
अमृत काल- 21 अप्रैल मध्यरात्रि 1 बजकर 17 मिनट से सुबह 02 बजकर 58 मिनट तक

मां महागौरी की पूजा विधि
अष्टमी के दिन सबसे पहले स्नान करें और साफ कपड़े पहनें। इसके बाद घर के मंदिर में लकड़ी की चौक पर महागौरी की प्रतिमा स्थापित करें। मां के आगे दीपक जलाएं और फल, फूल अर्पित करें। मां की आरती के बाद कन्या पूजन करें। 

आज महाअष्टमी के दिन देवी दुर्गा के महागौरी  के निमित्त उपवास किया जाता है, लेकिन धर्मशास्त्र का इतिहास चतुर्थ भाग के पृष्ठ- 67 पर चर्चा में ये उल्लेख भी मिलता है कि पुत्रवान व्रती इस दिन उपवास नहीं करता। साथ ही वह नवमी तिथि को पारण न करके अष्टमी को ही व्रत का पारण कर लेता है।

महागौरी का बीजमंत्र

सर्वमङ्गलमङ्गल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके.
शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोऽस्तु ते

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नवरात्रि के अष्टमी के दिन कन्या पूजन करने की विधि

महाअष्टमी के दिन देवी मां की पूजा के साथ ही कुमारियों  को भोजन कराया जाता है।  स्कंदपुराण में कुमारियों के बारे में बताया गया है  की  2 वर्ष की कन्या को कुमारिका कहते हैं, 3 वर्ष की कन्या को त्रिमूर्ति कहते हैं। इसी प्रकार क्रमश: कल्याणी, रोहिणी, काली, चंडिका, शांभवी, दुर्गा, सुभद्रा आदि वर्गीकरण भी किये गये हैं। अष्टमी के दिन कुमारी भोजन में पूड़ी , चने और मीठा हलुआ खिलने की परम्परा है । कुमारियों को यथेष्ट भोजन कराने के बाद   कुछ दक्षिणा देकर उनके पैर छूकर आशीर्वाद लेना चाहिए। महाष्टमी में दान की वस्तुओं में कमर और उससे ऊपर धारण किये जाने योग्य चीज़ें ही दान करनी चाहिए । बाकी आपके ऊपर निर्भर है।

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