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चैत्र नवरात्र के छठे दिन ऐसे करें मां कत्यायनी की पूजा, जानें मंत्र, भोग और आरती

आज चैत्र शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि और दिन रविवार है। षष्ठी तिथि आज रात 10 बजकर 35 मिनट तक रहेगी। आज चैत्र नवरात्र का छठा दिन है। इस दिन देवी दुर्गा की छठी शक्ति मां कात्यायनी की उपासना की जायेगी। 

Written by: India TV Lifestyle Desk
Published on: April 18, 2021 7:31 IST
chaitra navratri 6th day- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV चैत्र नवरात्र के छठे दिन ऐसे करें मां कत्यायनी की पूजा, जानें मंत्र, भोग और आरती

आज चैत्र शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि और दिन रविवार है। षष्ठी तिथि आज रात 10 बजकर 35 मिनट तक रहेगी। आज पूरा दिन पार कर कल सुबह 5 बजकर 2 मिनट तक सारे काम बनाने वाला रवि योग रहेगा। आज चैत्र नवरात्र का छठा दिन है। इस दिन देवी दुर्गा की छठी शक्ति मां कात्यायनी की उपासना की जायेगी। 

मां दुर्गा के छठे स्वरूप को कात्यायनी का नाम क्यों पड़ा?

आचार्य इंदु प्रकाश के अनुसार ऋषि कात्यायन के यहां जन्म लेने के कारण देवी मां को कात्यायनी के नाम से जाना जाता है। मां दुर्गा का ये स्वरूप अत्यन्त ही दिव्य है।

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मां कत्यायनी का रुप
मां का रंग सोने के समान चमकीला है। इनकी चार भुजाओं में से ऊपरी बायें हाथ में तलवार और नीचले बायें हाथ में कमल का फूल है। जबकि इनका ऊपर वाला दायां हाथ अभय मुद्रा में है और नीचे का दायां हाथ वरदमुद्रा में है। 

कहते है- भगवान श्रीकृष्ण को पति रूप में पाने के लिए ब्रज की गोपियों ने कालिन्दी यमुना के तट पर मां कात्यायनी की ही पूजा की थी। इसलिए देवी मां को ब्रजमंडल की अधिष्ठात्री देवी के रूप में भी पूजा जाता है। इसके अलावा मां कात्यायनी की उपासना से व्यक्ति को किसी प्रकार का भय या डर नहीं रहता और उसे किसी प्रकार की स्वास्थ्य संबंधी परेशानी का सामना भी नहीं करना पड़ता। देवी मां की उपासना उन लोगों के लिये बेहद ही लाभकारी है, जो बहुत समय से अपने लिये या अपने बच्चों के लिये शादी का रिश्ता ढूंढ रहे हैं, लेकिन उन्हें कोई अच्छा रिश्ता नहीं मिल पा रहा है। साथ ही इनका आधिपत्य बृहस्पति ग्रह, यानी गुरु पर रहता है। लिहाजा आज के दिन मां कात्यायनी की पूजा-अर्चना करने से गुरु संबंधी परेशानियों से भी छुटकारा मिलेगा।

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मां कत्यायनी की पूजा विधि
नवरात्र के छठे दिन देवी के पूजन में शहद का बहुत अधिक महत्व है। इस दिन प्रसाद में शहद का इस्तेमाल करना चाहिए। इसके प्रभाव से आपको सुंदर रूप प्राप्त होगा। इस दिन सबसे पहले मां कत्यायनी की तस्वीर को लकड़ी की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर स्थापित करें। इसके बाद मां की पूजा उसी तरह करें जैसे कि नवरात्र के पांच दिन आपने की। इसके बाद हाथों में लाल फूल लेकर मां की उपासना इस मंत्र के साथ करें।

चंद्रहासोज्जवलकरा शार्दूलवर वाहना।
कात्यायनी शुभं दद्याद्देवी दानवघातिनि।।

इसके बाद मां को हाथ जोड़कर फूल अर्पित करें तथा मां का षोचशोपचार से पूजन करें और नैवेद्य चढ़ाए और 108 बार इस मंत्र का जाप करें।
ऊं ऐं हीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे।

देवी की कृपा से भक्त की मुराद पूरी होती है और घर में सुख, शांति एवं समृद्धि रहती है। सभी बीमारियों से निजात मिलता है। इसके बाद में आरती करें और फिर प्रसाद ग्रहण करना चाहिए।

मां कत्यायनी का भोग
नवरात्र के छठे दिन मां को शहद का भोग लगाएं। शुभ फल मिलेगा। 

मां कत्यायनी की आरती
जय जय अम्बे जय कात्यानी
जय जगमाता जग की महारानी
बैजनाथ स्थान तुम्हारा
वहा वरदाती नाम पुकारा
कई नाम है कई धाम है
यह स्थान भी तो सुखधाम है
हर मंदिर में ज्योत तुम्हारी
कही योगेश्वरी महिमा न्यारी
हर जगह उत्सव होते रहते
हर मंदिर में भगत है कहते
कत्यानी रक्षक काया की
ग्रंथि काटे मोह माया की
झूठे मोह से छुडाने वाली
अपना नाम जपाने वाली
ब्रेह्स्पतिवार को पूजा करिए
ध्यान कात्यानी का धरिये
हर संकट को दूर करेगी
भंडारे भरपूर करेगी
जो भी माँ को 'चमन' पुकारे
कात्यानी सब कष्ट निवारे

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