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Chaitra Navratri 2019: नवरात्र के छठे दिन होती है मां कात्यायनी की पूजा, जानें मंत्र और पूजन विधि

Chaitra Navratri 2019: आज चैत्र शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को नवरात्र का छठा दिन आज के दिन देवी दुर्गा की छठी शक्ति मां कात्यायनी की उपासना की जायेगी।

Written by: India TV Lifestyle Desk
Updated on: April 11, 2019 8:29 IST
Katyayani  maa- India TV Hindi
Katyayani  maa

Chaitra Navratri 2019: आज चैत्र शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को नवरात्र का छठा दिन आज के दिन देवी दुर्गा की छठी शक्ति मां कात्यायनी की उपासना की जायेगी। आज दोपहर 03 बजकर 32 मिनट तक शोभन योग रहेगा। शुभ कार्यों के लिये और कहीं बाहर यात्रा पर जाने के लिए ये योग बड़ा ही अच्छा माना जाता है। इस योग में यात्रा करने से किसी प्रकार की असुविधा नहीं होती और व्यक्ति को आनंद की अनुभूति होती है। साथ ही जिस भी कामना से यात्रा की जाती है, वह कामना भी पूरी होती है। शोभन योग के अलावा आज सुबह 10 बजकर 25 मिनट तक सारे काम बनाने वाला रवि योग भी रहेगा। (साप्ताहिक राशिफल 8 से 14 अप्रैल: चैत्र नवरात्रि का ये सप्ताह, इन राशियों पर बना रहेगा मां दुर्गा का आशीर्वाद)

मां कात्यायनी देवी का शरीर सोने के समान चमकीला है। चार भुजा बाली मां कात्यायनी सिंह पर सवार हैं। उन्होनें एक हाथ में तलवार और दूसरे हाथ में कमल का फूल लेकर सुशोभित है। साथ ही दूसरे दोनो हाथों में वरमुद्रा और अभयमुद्रा में हैं। मां कत्यायनी का वाहन सिंह हैं। इनसे जुड़ी एक पौराणिक कथा प्रचलित है।

मां कात्यायनी की पौराणिक कथा

पौराणिक कथा के अनुसार एक वन में कत नाम के एक महर्षि थे उनका एक पुत्र था जिसका नाम कात्य रखा गया। इसके बाद कात्य गोत्र में महर्षि कात्यायन ने जन्म लिया। उनकी कोई संतान नहीं थी। मां भगवती को पुत्री के रूप में पाने की इच्छा रखते हुए उन्होंने पराम्बा की कठोर तपस्या की। (12 अप्रैल नवरात्र में बुध कर रहा है मीन रशि में प्रवेश, इन 6 राशियों के जीवन पर पड़ेगा सीधा प्रभाव)

महर्षि कात्यायन की तपस्या से प्रसन्न होकर देवी ने उन्हें पुत्री का वरदान दिया। कुछ समय बीतने के बाद राक्षस महिषासुर का अत्याचार अत्यधिक बढ़ गया। तब त्रिदेवों के तेज से एक कन्या ने जन्म लिया और महिषासुर का वध किया। कात्य गोत्र में जन्म लेने के कारण देवी का नाम कात्यायनी पड़ गया।

ऐसे करें मां कात्यायनी की पूजा
शास्त्रों के अनुसार नवरात्र के छठे दिन देवी के पूजन में शहद का बहुत अधिक महत्व है। इस दिन प्रसाद में शहद का इस्तेमाल करना चाहिए। इस दिन सबसे पहले मां कत्यायनी की तस्वीर को लकड़ी की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर स्थापित करें। इसके बाद मां की पूजा उसी तरह करें जैसे कि नवरात्र के पांच दिन आपने की। इसके बाद हाथों में लाल फूल लेकर मां की उपासना इस मंत्र के साथ करें।

चंद्रहासोज्जवलकरा शार्दूलवर वाहना |
कात्यायनी शुभं दद्याद्देवी दानवघातिनि ||

इसके बाद मां को हाथ जोड़कर फूल अर्पित करें तथा मां का षोचशोपचार से पूजन करें और नैवेद्य चढ़ाए और 108 बार इस मंत्र का जाप करें।
ऊं ऐं हीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे।

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