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Chaitra Navratri 2019: नवरात्र के पांचवे दिन ऐसे करें स्कंदमाता की पूजा, होगी संतान की प्राप्ति

Chaitra Navratri 2019: आज नवरात्र के पांचवे दिन मां दुर्गा के रुप स्कंदमाता की पूजा की जाती है। स्कंदमाता को कार्तिकेय की माता माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि संतान की प्राप्ति और मोक्ष की प्राप्ति के लिए स्कंदमाता की आराधना करनी चाहिए।

Written by: India TV Lifestyle Desk
Updated : April 10, 2019 8:06 IST
skandmata
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Chaitra Navratri 2019: आज चैत्र शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि और बुधवार का दिन है। आपको बता दें कि आज के दिन बहुत-से शुभ योग और तिथियां हैं। इसके अलावा आज नवरात्र का पांचवा दिन है। आज नवरात्र के पांचवे दिन मां दुर्गा के रुप स्कंदमाता की पूजा की जाती है। स्कंदमाता को कार्तिकेय की माता माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि संतान की प्राप्ति और मोक्ष की प्राप्ति के लिए स्कंदमाता की आराधना करनी चाहिए।

स्कंद का अर्थ है कुमार कार्तिकेय अर्थात माता पार्वती और भगवान शिव के जेष्ठ पुत्र कार्तिकय। जो भगवान स्कंद कुमार की माता है वही है मां स्कंदमाता। शास्त्रों के अनुसार भगवान स्कंद के बालरूप को माता अपनी दाई तरफ की ऊपर वाली भुजा से गोद में बैठाए हुए है।

स्कंदमाता स्वरुपिणी देवी की चार भुजाएं हैं। ये दाहिनी तरफ की ऊपर वाली भुजा से भगवान स्कंद को गोद में पकड़े हुए हैं। बाईं तरफ की ऊपर वाली भुजा वरमुद्रा में और नीचे वाली भुजा जो ऊपर की ओर उठी है, उसमें कमल-पुष्प लिए हुए हैं।

ऐसे पड़ा मां का नाम स्कंद

देवी स्कन्द माता पर्वत राज हिमालय की पुत्री पार्वती हैं इन्हें ही माहेश्वरी और गौरी के नाम से जाना जाता है। माता पार्वती को अपने पुत्र से अधिक प्रेम है अत: मां को अपने पुत्र के नाम के साथ अपना नाम लेना अच्छा लगती था। जिस कारण इन्हें माता के इस स्वरूप की पूजा करते है मां उस पर अपने पुत्र के समान स्नेह लुटाती हैं।

पूजा विधि
सबसे पहले चौकी पर स्कंदमाता की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें। इसके बाद गंगा जल या गोमूत्र से शुद्धिकरण करें। चौकी पर चांदी, तांबे या मिट्टी के घड़े में जल भरकर उस पर नारियल रखकर कलश स्थापना करें। इसके बाद उस चौकी में श्रीगणेश, वरुण, नवग्रह, षोडश मातृका (16 देवी), सप्त घृत मातृका(सात सिंदूर की बिंदी लगाएं) की स्थापना भी करें। फिर वैदिक एवं सप्तशती मंत्रों द्वारा स्कंदमाता सहित समस्त स्थापित देवताओं की षोडशोपचार पूजा करें।

इसमें आवाहन, आसन, पाद्य, अ‌र्ध्य, आचमन, स्नान, वस्त्र, सौभाग्य सूत्र, चंदन, रोली, हल्दी, सिंदूर, दुर्वा, बिल्वपत्र, आभूषण, पुष्प-हार, सुगंधित द्रव्य, धूप-दीप, नैवेद्य, फल, पान, दक्षिणा, आरती, प्रदक्षिणा, मंत्र पुष्पांजलि आदि करें। तत्पश्चात प्रसाद वितरण कर पूजन संपन्न करें।

देवी मंत्र
या देवी सर्वभू‍तेषु मां स्कंदमाता रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

मां की पूजा के बाद शिव शंकर और ब्रह्मा जी की पूजा करनी चाहिए। ऐसा शास्त्रों में कहा गया है। देवी स्कन्द माता की भक्ति-भाव सहित पूजन करते हैं उसे देवी की कृपा प्राप्त होती है। देवी की कृपा से भक्त की मुराद पूरी होती है और घर में सुख, शांति एवं समृद्धि रहती है। वात, पित्त, कफ जैसी बीमारियों से पीड़ित व्यक्ति को स्कंदमाता की पूजा करनी चाहिए।

भोग
मां को केले का भोग अति प्रिय है। इन्हें केसर डालकर खीर का प्रसाद भी चढ़ाना चाहिए।

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